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100 dies in road accident on Agra Lucknow Express way in 8 month
आगरालीक्स.. आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर आठ महीने में 853 एक्सीडेंट हुए, इसमें 100 लोगों की मौत हो चुकी है, हादसों का कारण जानकर सहम जाएंगे।
आगरा से लखनऊ को जोड़ने वाला 302 किमी0 लम्बे व लगभग 12-13 हजार करोड़ की लागत से बने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर लगभग प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं। अभी हाल में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे टोल के पास बड़ा हादसा हुआ, जिसमें टूरिस्ट बस का टायर फटने से बस अनियंत्रित होकर कई वाहनों की चपेट में आ गई और आधा दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गये हैं व दो की मौत हो गयी।
आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन (एडीएफ) के सचिव के0सी0 जैन द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत दि0 4.4.2018 को लगाये गये आवेदन-पत्र के क्रम में उ0प्र0 एक्सप्रेसवेज़ इण्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथॉरिटी (यूपीडा) द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना दिनांक 10.5.2018 के अनुसार अगस्त-2017 से 31.3.2018 तक 853 दुर्घटनाओं में 100 लोगों की मृत्यु हुई। इसके उपरान्त जब पुनः सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत हादसों और मृतकों की संख्या के बारे में पूछा गया तो यूपीडा द्वारा प्रेषित पत्र में इस सम्बन्ध में सूचना पुलिस से प्राप्त करने को कहा गया। यह आवश्यक है कि यूपीडा इस एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों का पूर्ण विवरण जनहित में रखे क्योंकि वह ही इस एक्सप्रेसवे का संचालन कर रही है। पूर्व में भी होने वाले हादसों का विवरण यूपीडा द्वारा दिया गया था किन्तु अब विवरण का न रखा जाना आश्चर्यजनक है। हादसों का विवरण रखने पर क्या कदम उठाये जाने हैं, इस सम्बन्ध में भी सहायता मिलेगी।
तेज स्पीड और टायर फटने से हो रहे हादसे
एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा उल्लंघन को रोकने के सम्बन्ध में एडीएफ की ओर से यह कहा गया कि इस एक्सप्रेसवे पर प्रतिमाह करीब 8 लाख वाहन चल रहे हैं व लगभग 15 करोड़ रुपये टोल के रूप में प्रतिमाह यूपीडा द्वारा वसूले जाते हैं किन्तु यूपीडा द्वारा अभी तक स्पीड-कैमरे व अन्य संयंत्र गतिसीमा को मापने हेतु नहीं लगाये हैं, जिसके कारण वाहन चालक निर्भीक रूप से निर्धारित गतिसीमा 100 किमी प्रति घण्टा का उल्लंघन धड़ल्ले से करते हैं, जो हादसों का कारण बनती है। दि0 19.1.2018 की मध्यरात्रि से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स लगा दिया गया था किन्तु अभी तक गतिसीमा नियंत्रण हेतु कैमरे नहीं लगाये गये हैं, जो दुःखद है।
यह मांग की गई कि जब तक कि स्पीड-कैमरे यूपीडा द्वारा स्थायी रूप से नहीं लगाये जाते हैं, तब तक अन्य संयंत्र अस्थाई रूप से लगा दिये जायें जो कई स्थानों पर गतिसीमा को नियमित रूप से माप सकें और उल्लंघनकर्ताओं पर दण्ड भी कड़ाई रूप लग सके।
ए.डी. एफ. सचिव की ओर से यह भी माँग की गई कि वाहनों में घिसे टायरों के प्रयोग पर तुरंत लगे ताकि टायर फटने के कारण से होने वाले हादसों को प्रभावी रूप से रोका ज सके। विदेशों में घिसे टायरों के प्रयोग पर रोक है किंतु इस प्रकार की कोई रोक मोटर व्हीकल अधिनियम में हमारे देश में नहीं है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
मृतकों के लिए इन्श्योरेन्स कवर के सम्बन्ध में पुनः यह मांग की गई कि इस एक्सप्रेसवे पर होने वाले हादसों में मृत व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा भुगतान हेतु टोल टैक्स के साथ ही इन्श्योरेन्स कवर होना एक आवश्यक कदम है, जैसा कि रेलगाड़ियों, रोडवेज बसों और हवाई जहाज की यात्राओं में टिकट के साथ इन्श्योरेन्स कवर होता है।
एडीएफ की ओर से यह मांग रखी गई कि उपरोक्त सुझावों पर जनहित में और मानव जीवन बचाने की दृष्टि से शीघ्र निर्णय लिया जाये ताकि बहुमूल्य मानव जीवन बचाया जा सके। यदि इस संबंध में सरकार द्वारा शीघ्र निर्णय नहीं लिया जाता है तो उच्च न्यायालय का दरवाज़ा भी खटखटा में भी गुरेज़ नहीं करेगा ।
फाइल फोटो