Free OPD At Rainbow IVF Centre Today
आगरालीक्स …आगरा में आज निसंतान दंपती के लिए फ्री ओपीडी, आईवीएफ फेल होने, बच्चे न होने वाले कपल के लिए रेनबो आईवीएफ सेंटर में 16 फरवरी को फ्री आईवीएफ ओपीडी लगाई जा रही है।
इंडियन सोसायटी आफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (आईएसएआर) का 16 फरवरी को स्थापना दिवस है। इस अवसर पर रेनबो आईवीएफ सेंटर, सिकंदरा में फ्री आईवीएपफ ओपीडी लगाई जा रही है। रेनबो आईवीएफ, सिकंदरा के डायरेक्टर डॉ केशव मल्होत्रा ने बताया कि सुबह 10 से शाम चार बजे तक 16 फरवरी को आईवीएफ ओपीडी में बांझपन विशेषज्ञ चिकित्सक फ्री ओपीडी में परामर्श देंगे। इसके साथ ही जांचें भी सस्ती दर पर की जाएंगी।
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रेनबो आईवीएफ, आगरा के डायरेक्टर एम्ब्रोलॉजिस्ट डॉ केशव मल्होत्रा.
बांझपन और प्रेग्नेंसी न होने पर पति और पत्नी दोनों की जांच की जाती है। महिलाओं में टयूब ब्लॉक हैं, आईयूआई फेल हो चुका है, गर्भधारण न होने का कारण नहीं पता चल रहा है तो टेस्ट टयूब बेबी का विकल्प चुन सकते हैं।टेस्ट टयूब बेबी जिसे तकनीकी भाषा में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ कहा जाता है। इसका मतलब है कि सामान्य प्रक्रिया में पति पत्नी संबंध बनाते हैं, पत्नी के मैच्योर अंडाणु से पति के शुक्राणु का मिलन होता है और भ्रूण बन जाता है, यह गर्भधारण की प्रक्रिया है। यह प्राक्रतिक तरीके से नहीं हो पाती है तो इसे शरीर से बाहर किया जाता है। महिला के अंडाणु और पुरुष शुक्राणु को शरीर से बाहर टेस्ट टयूब में फर्टिलाइज कराया जाता है, इससे भ्रूण तैयार होते हैं, इस भ्रूण को तीन से पांच दिन तक इन्क्यूवेटर में रखा जाता है। इसके बाद भ्रूण को मां की कोख में हस्तांतरित कर दिया जाता है, नौ महीने तक शिशु मां की कोख में ही पनपता है। जिस तरह से सामान्य शिशु का जन्म होता है इसी तरह से आईवीएफ में भी शिशु का जन्म सिजेरियन और नार्मल डिलीवरी से होता है। इसलिए यह बच्चा भी सामान्य बच्चों की तरह से ही होता है, कोई कमजोरी और कमी नहीं होती है। बल्कि सामान्य बच्चों से ज्यादा स्वस्थ्य भी होता है, क्योंकि भ्रूण को हस्तांतरित करने से पहले कोई जन्मजात बीमारी तो नहीं है, इसकी भी जांच की जाती है।
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सवाल टेस्ट टयूब बेबी कहां कराना चाहिए
एम्ब्रोलॉजिस्ट डॉ केशव मल्होत्रा… टेस्ट टयूब बेबी एक अच्छे सेंटर में कराना चाहिए, क्योंकि इसकी सफलता तकनीकी और इलाज करने वाले डॉक्टर पर निर्भर करती है। इसके सक्सेज रेट 40 फीसद तक हैं, खर्चा भी लगभग अच्छे सेंटर का एक जैसा ही है, इसलिए ऐसा सेंटर चुनना चाहिए जहां नई तकनीकी और एक्सपर्ट उपलब्ध हों।
ये टर्म जान लें
टयूब ब्लॉक महिलाओं में हर महीने एक अंडा मैच्योर होता है, यह पफेलोपियन टयूब में कुछ समय के लिए रहता है, इसी दौरान पति पत्नी के संबंध बनाने पर शुक्राणु इस अंडे से मिलता है और प्रेग्नेंसी हो जाती है, टयूब ब्लॉक होने पर यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है।
स्पर्म मोटेलिटी प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है कि संबंध बनाने के दौरान शुक्राणु अंडे से मिले, इसके लिए शुक्राणु की मोटेलिटी और क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए, इसकी भी जांच की जाती है।
एग क्वालिटी महिलाओं में एग कितने बन रहे हैं, यह मैच्योर हो रहे हैं या नहीं, इसे जानने के लिए भी जांच की जाती है
भ्रूण, एम्ब्रो टेस्ट टयूब बेबी के लिए शरीर से बाहर अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है, इससे भ्रूण तैयार होता है, इसे दो से तीन दिन तक बाहर रखने के बाद भ्रूण को कोख में प्रत्यारोपित कर देते हैं।