Genetic counselling seminar at Rainbow IVF Centre, Agra
आगरालीक्स…. बच्चा स्वस्थ्य पैदा हो, इसके लिए जरूरी है कि पति पत्नी की जेनेटिक काउंसलिंग की जाए। यह आनुवांशिक परामर्श व्यक्तियों, परिवारों या युगलों को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के विषय में निर्णय लेने में सक्षम बनाने की एक प्रक्रिया है। यह आनुवांशिक या वंशानुगत विकारों और भविष्य की पीढ़ियों को स्थानांतरित हो सकने वाली समस्याओं को जानने का एक तरीका है। यह जानकारी लोगों को उनके स्वास्थ्य, गर्भधारण और उनके बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में निर्णय लेने में मदद करती है। यह कहना है जेनेटिक काउंसलर डा. अनु यादव का।
सिकंदरा स्थित रेनबो हाॅस्पिटल में गुरूवार को इंडियन सोसायटी आॅफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (इसार) और इयान डोनाल्ड स्कूल आॅफ अल्ट्रासाउंड के संयुक्त तत्वावधान में स्त्री एवं प्रसूति क्षेत्र में जेनेटिक्स के महत्व पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें गुरूग्राम से आईं पीकेआई जीनोमिक्स कीं डा. अनु यादव ने बताया कि आनुवांशिक परामर्श एक स्वास्थ्य जांच प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति, परिवार या युगल को अपने आनुवांशिक स्थितियों और जोखिमों को समझने में मदद करती है। इसके जरिए संभावित आनुवांशिक रोग जोखिम का मूल्यांकन किया जा सकता है। गर्भधारण का निर्णय लेते वक्त गर्भावस्था स्क्रीनिंग कराने से पैदा होने वाले शिशु में आनुवांशिक परिस्थितियों, न्यूरोलाॅजिकल स्थितियों, असामान्य शारीरिक विशेषताओं और दोषों की संभावना को जाना जा सकता है। इसार कीं अध्यक्ष और फाॅग्सी कीं पूर्व अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि प्रसवपूर्ण आनुवांशिक परीक्षण माता-पिता को इस बारे में जानकारी देते हैं कि उनके भ्रूण मं कुछ आनुवांशिक विकार तो नहीं है। ऐसे में कोई फैसला लिया जा सकता है। यह विकार किसी जीन या गुणसूत्र में परिवर्तन के कारण होते हैं।
इस दौरान डा. राजीव लोचन शर्मा, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. शैमी बंसल, डा. विश्वदीपक, डा. सोनल भार्गव, डा. शैली गुप्ता, डा. सुजाता, डा. नीरजा, डा. नीलम माहेश्वरी, विनकांत नागर, महाप्रबंधक राकेश आहूजा, लवकेश गौतम आदि मौजूद थे।