New toll rates released for Agra-Lucknow, Purvanchal and Bundelkhand Expressway,
Laparoscopic Hysterectomy master class at Rainbow Hospital, Agra
आगरालीक्स… आगरा में डॉक्टरों ने बताया कि चहर चार में से तीन महिलाओं को गर्भाशय की समस्या है, इससे अनियमित पीरयडस से लेकर बांझपन तक की समस्याएं हो रही हैं। गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। आंकड़ों की मानें तो हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं। लेकिन अधिकांश महिलाओं को पता ही नहीं चलता कि उनके गर्भाशय में कोई समस्या है, क्योंकि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में ही इसकी असामान्यता के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकते हैं। इन छोटे-छोटे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी के संकेत भी हो सकते हैं। यह कहना है विशेषज्ञों का।
रेनबो हाॅस्पिटल में दूरबीन विधि से गर्भाशय निकालने रविवार को (लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरोक्टमी) पर एक दिवसीय मास्टर क्लास आयोजित की गई। इसमें देश के नामी चिकित्सकों ने विभिन्न शहरों से आए स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को बिना पेट पर चीरा लगाए योनि मार्ग के जरिए गर्भाशय निकालने का प्रशिक्षण दिया। रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. नरेंद्र मल्होत्रा, डा. जयदीप मल्होत्रा के साथ ही धर्मशिला कैंसर इंस्टीट्यूट और पुष्पावति सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली के डा. अरविंद चैहान एवं डा. बिजाॅय नायक डाॅक्टरों को लाइव आॅपरेटिव सर्जरी के जरिए दूरबीन विधि से गर्भाशय निकालने की आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया। डा. नरेंद्र ने बताया कि एंडोनयोमसिस, गर्भाशय के कैंसर, यूटेरिन प्रोलेप्स, फाइब्राॅयड्स, एब्नाॅर्मल यूटराइन ब्लीडिंग, क्राॅनिक पेल्विक पेन की अति गंभीर मामलों में कई बार गर्भाशय निकालने की जरूतर पड़ सकती है। कई प्राणघातक बीमारियों के साक्ष्य पाए जाने पर गर्भाशय को निकालना ही बेहतर विकल्प है। डा. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एब्डाॅमिनल हिस्टेरोक्टमी में पेट में चीरा लगाकर गर्भाशय को निकाला जाता है, जबकि वेजाइनल हिस्टेरोक्टमी एक आधुनिक शल्य चिकित्सा है, जिसमें गर्भाशय को योनि मार्ग से हटाया जाता है। इसमें किसी तरह की चीर-फाड़ नहीं की जाती। यह दर्द रहित प्रक्रिया होती है। संक्रमण का खतरा कम रहता है। मरीज को अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है। गर्भाशय कैंसर की संभावना को जड़ से खत्म करने के लिए हिस्टेरोक्टमी की जरूरत पड़ती है।
70 फीसद तक महिलाएं फाइब्राॅयड्स से पीड़ित
डा. अरविंद चैहान ने बताया कि फाइब्राॅयड्स गर्भाशय की मांसपेशीय परत में होने वाला एक कैंसर रहित ट्यूमर है। इसका आकार मटर के दाने से लेकर तरबूज के बराबर तक हो सकता है। कभी-कभी इन ट्यूमर में कैंसरग्रस्त कोशिकाएं भी विकसित हो जाती हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 70 फीसद तक महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं, जिनमें अधिकांशतः कोई लक्षण भी नजर नहीं आते। वहीं गर्भाशय कैंसर और दूसरी प्राणघातक परेशानियों के लक्षण गर्भाशय में पाए जाने पर इसे निकाल देना ही बेहतर होता है।
गर्भाशय कैंसर
गर्भाशय का कैंसर गर्भाशय से संबंधित सबसे गंभीर समस्या है। शुरूआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन धीरे-धीरे लक्षण गंभीर होते जाते हैं। हालांकि इसका पता लगने पर गर्भाशय को निकाल देना ही सबसे सही तरीका है, ताकि कैंसर फैलने की संभावना को खत्म कर इसे खत्म किया जा सके।
वेजाइनल लेप्रोस्कोपी हिस्टेरोक्टमी के फायदे
- संक्रमण का खतरा कम
- काफी कम या न के बराबर ब्लड लाॅस
- अतिशीघ्र रिकवरी
- अस्पताल से एक या दो दिन में छुट्टी
- बडे़ एवं भद्दे चीरों के निशानों से छुटकारा
- दर्द रहित शल्य चिकित्सा
- आॅपरेशन के बाद होने वाली समस्याओं से मुक्ति