Rainbow Hospital celebrate 6th foundation day in Agra
आगरालीक्स …आगरा के एक बडे हॉस्पिटल के निदेशकों की बातों से स्टाफ की आंखें नम हो गईं, उन्होंने कहा कि यह हॉस्पिटल आगे बढ रहा है तो अपने स्टाफ की बदौलत, एक एक सफाई कर्मचारी से लेकर ओटी टेक्निशयन को उनके कार्य के लिए चिकित्सक दंपती ने सम्मानित किया।
इन्हीं शब्दों के साथ रेनबो हाॅस्पिटल कीं प्रमुख डा. जयदीप मल्होत्रा ने रेनबो दिवस के मौके पर अस्पताल के स्टाॅफ को कर्तव्यनिष्ठा की सीख दी।
गुरुवार को मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम ने 61, मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर और रेनबो आईवीएफ ने 21 और रेनबो अस्पताल ने अपना 06 वर्ष का सफर पूरा कर लिया है। हर साल इस मौके को बडे ही उत्साह के साथ ‘रेनबो-डे’ के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह विशेष दिन मानवता और भावनाओं को समर्पित था। सर्वप्रथम रेनबो ग्रुप के चेयरमैन डा. आरएम मल्होत्रा ने उपस्थितजनों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया और कर्तव्य पथ पर चलते रहने के लिए प्रेरित किया। अस्पताल कीं प्रमुख डा. जयदीप मल्होत्रा ने प्रबंधक मंडल एवं समस्त कर्मचारियों को मरीजों के इलाज में गुणवत्ता, नैतिकता और समर्पण रखने की बात कही। कहा कि शीर्ष चिकित्सकीय नेतृत्व जहां इस अस्पताल की शान है, वहीं सामाजिक गतिविधियों में हमारी सहभागिता हमारी पहचान है। विज्ञान और समाज के बीच इसी पुल का नाम है ‘रेनबो‘। उन्होंने बताया कि कैसे एक डाॅक्टर के प्रति पीडितों का विश्वास बढ़ जाता है और वह उसके दुख-दर्द में सहभागी बन जाता है। उन्होंने पैरामेडिकल समेत समस्त स्टाॅफ को कुछ अलग हटकर काम करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि सबसे पहले हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि मरीज को तुरंत इलाज मिले। रेनबो की स्थापना ‘होप-हील एंड हैप्पी’ के मकसद को लेकर ही की गई थी जिसका अर्थ है कि मरीज एक उम्मीद के साथ आए, हम यहां उसे हील करें और वह अच्छा होकर खुशी-खुशी अपने घर जाए।
इसके बाद सिलसिलेवार रूप से सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम शुरू हुए। अस्पताल के स्टाॅफ और उनके बच्चों ने टेलेंट शो में भाग लिया। किसी ने फिल्मी गैर फिल्मी गीत-संगीत की प्रस्तुति से समां बांधा तो किसी ने नृत्य प्रस्तुतियों से सभी का मन मोहा। ऐ मालिक तेरे बंदे हम…. गीत की शानदार प्रस्तुति देने पर प्रथम पुरस्कार बेबी आध्या के नाम रहा। द्वितीय पुरस्कार मनमोहक नृत्य प्रस्तुति देने पर आकांक्षा के नाम रहा। टेलेंट शो में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। वहीं अस्पताल के 40 कर्मचारियों को ‘एंपलाई आॅफ द ईयर’ के खिताब से नवाजा गया। निर्णायकों की भूमिका डा. ऋषभ बोरा, डा. सुकुमार पांडया, डा. सोनम पांडया ने निभाई। संचालन अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डा. राजीव लोचन शर्मा ने किया।
इस अवसर पर डा. अनूप खरे, डा. वंदना कालरा, डायटीशियन रेनुका डंग, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. शैमी बंसल, डा. हिमांशु यादव, डा. निशा यादव, डा. विश्वदीपक, डायटीशियन सोनल भार्गव, महाप्रबंधक राकेश आहूजा, तरूण मैनी, लवकेश गौतम, अमृतपाल सिंह चड्ढा, सुदीप पुरी, केशवेंद्र सिसौदिया, विश्वदीपक, जगमोहन गोयल, नवनीत उपाध्याय, धर्मेंद्र, मनोज, सचिन आदि मौजूद थे।
गौरवशाली है इतिहास
अस्पताल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि एक नवंबर 1956 को भरतपुर के सीएमओ पद से सेवानिवृत्त उनके दादाजी रायबहादुर डा. एसएन मल्होत्रा ने राजस्थान में निजी अस्पताल की नींव डाली थी। आगरा में उनके पिता डा. आरएम मल्होत्रा और माता जी स्व. डा प्रभा मल्होत्रा के साथ 1975 में मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम के नाम से अत्याधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल शुरू किया। एक अगस्त 1997 में डा. नरेंद्र और डा. जयदीप ने उत्तर प्रदेश का पहला आईवीएफ सेंटर, मल्होत्रा टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से शुरू किया जिससे उत्तर भारत के बांझपन से पीडित दंपतियों का संतान प्राप्ति का सपना पूरा हुआ। एक नवंबर 2012 को रेनबो हाॅस्पिटल के नाम से 110 बैड का अस्पताल शुरू किया गया। बीते छह सालों में इस अस्पताल ने सवा लाख से अधिक मरीजों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी है। इसमें न्यूरोसर्जरी, यूरोलाॅजी, आॅर्थोपेडिक, जोड़ प्रत्यारोपण, गायनिक, गेस्ट्रो-एंड्रोलाॅजी, नेफ्रोलाॅजी, काॅस्मेटिक सर्जरी, ईएनटी, डेंटल, लेप्रोस्कोपी, हार्ट सर्जरी, आईसीयू सुविधाएं उपलब्ध हैं।
10000 परिवारों के सपने किए सच
डा. ऋषभ बोरा ने बताया कि असल मायनों में ‘रेनबो-डे’ सफलताओं का एक उत्सव है। आगरा में जन्म पहला टेस्ट ट्यूब बेटी उत्सव 19 साल का हो चुका है। उत्तर प्रदेश और नेपाल के प्रहिाम आईवीएफ बेबी का जन्म कराने का कीर्तिमान भी इसी संस्थान के नाम है। विगत वर्षों में यहां 10000 परिवारों के सपने सच किए जा चुके हैं। इनमें ऐसे दंपति भी शामिल हैं जो बार-बार आईवीएफ विफलता से परेशान थे और शादी के कई साल बाद तक जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ था। आखिरकार उन्होंने रेनबो आईवीएफ की राह पकडी और संतान पाकर चेहरों पर कृतज्ञता के भाव थे।