Rainbow hospital doctor team present research paper at ASPIRE 2018
आगरालीक्स… आगरा के रेनबो हॉस्पिटल की टीम ने ताईवान में रिसर्च पेपर प्रजेंट किए। वहां 12 से 15 अप्रैल ताइपेई ताईवान के ताइपे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुई एशिया पैसेफिक इनीशिएटिव आॅन रिप्रोडक्शन (एस्पायर-2018) में आगरा के चिकित्सकों के शोधपत्रों को सराहा गया। आगरा के रेनबो हाॅस्पिटल में एंब्रियोलाॅजिस्ट डा. केशव मल्होत्रा और आईवीएफ विशेषज्ञ डा. दीक्षा गोस्वामी ने अपने व्याख्यान देने के साथ ही अपने शोध प्रस्तुत किए थे। वहीं फेडरेशन आॅफ आॅब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलाॅजिकल सोसाइटी आॅफ इंडिया (फाॅग्सी) की अध्यक्ष डा. जयदीप मल्होत्रा को इस सम्मेलन में भारत और विश्व भर में बांझपन और इससे जुडी चुनौतियों पर मुख्य वक्ता के रूप में अहम जानकारियां सामने रखीं।
ताईवान में आयोजित इस वृहद स्तरीय सम्मेलन में दुनिया भर से आए विशेषज्ञों के समक्ष अपने संबोधन में डा. जयदीप ने कहा कि भारत 1.3 अरब आबादी वाला देश है। यहां एक ओर हम विविधता और विरोधाभास का सामना करते हैं तो दूसरी ओर बांझपन जैसी समस्याएं चुनौती बनी हुई हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 15 प्रतिशत विवाहित महिलाओं को गंभीर रूप से बांझपन की समस्या होती है।
इसके अलावा यहां बांझपन कई धार्मिक मान्यताओं और मिथकों से भी जुडा है। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे आईवीएफ केंद्र नहीं हैं। जबकि हमारी आबादी का 55 प्रतिशत हिस्सा यहां रहता है। अधिकांश आईवीएफ केंद्र महानगरों में स्थित हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग 2100 आईवीएफ केंद्र हैं लेकिन इनमें से केवल 390 ही ऐसे हैं जिन्हें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से पंजीकृत हैं। इनमें से ज्यादातर निजी संस्थान हैं। सरकार को चाहिए कि वे अच्छे संस्थानों को प्रोत्साहित करते हुए सार्वजनिक साझेदारी तय करे ताकि जरूरतमंदों तक यह सुविधाएं आसानी से पहुंचाई जा सकें। साथ ही उन्होंने बांझपन में देखभाल दवाओं और उपचार पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। डा. जयदीप ने कई सत्रों की अध्यक्षता करने के साथ ही अपने शोध भी प्रस्तुत किए।
डा. केशव मल्होत्रा ने पुरूषों में शुक्राणुओं की खराब गुणवत्ता अंडों को जमाकर रखने पर और डा. दीक्षा गोस्वामी ने आईवीएफ चक्र के बार-बार फेल होने नई दवाओं और परिणामों के साथ ही गर्भाशय संबंधी विकारों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।