बंधवा से नीचे उतर रहे श्रद्धालुओं के एक दल पर सहसा नजरें ठिठक गईं। आठ सदस्यीय दल के प्रत्येक सदस्य के हाथों में एक नहीं बल्कि पांच-पांच डिब्बे गंगा जल। पूछने पर दल के सदस्य राम जतन बताते हैं कि इसको पूरे गांव में बांटा जाएगा। इतनी दूर से आए हैं। लोगों के लिए संगम तट से ‘अमृत’ लेकर जाना ही होगा।
मौनी अमावस्या पर्व पर संगम पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा था। लोगों में डुबकी को लेकर जितनी श्रद्धा थी, उससे ज्यादा उत्साह गंगाजल को अपने बर्तन में समेटने का दिखा। गंगा जल को ले जाने के लिए हर भक्त आतुर दिखा। परेड मैदान पर भोजन कर रहे एक कुनबे के पास भी गंगाजल की अधिकता ध्यान खींचती है। बातचीत के दौरान कुनबे के एक सदस्य रमाकांत बताते हैं कि वह पांचवीं बार माघ मेले में आए हैं। हर साल वह मौनी अमावस्या पर गंगा में डुबकी लगाते हैं। साथ में यहां से गंगाजल ले जाते हैं जो पूरे साल पूजन अर्चन में काम आता है। इस बार उनके साथ गांव के ही बुद्ध प्रकाश, अशोक वर्मा, चंद्रशेखर भारतीय, आरडी सिंह, शशिभूषण आदि भी आए हैं। सभी अपने परिजनों के लिए गंगाजल लेकर जा रहे हैं। कहते हैं कि इसी बहाने परिजन भी पुण्य के भागी बन जाएंगे।
सिंहरौली से आए राम मिलन अपने साथ दस लीटर गंगा जल ले गए। पूछने पर बताते हैं कि गंगा मैया ने बड़े अच्छे से स्नान कराया है। गंगा जल को याद के रूप में ले जा रहा हूं। इस जल से अपने पूरे परिवार को पुण्य में शामिल करूंगा।