लखनऊलीक्स ….आगरा में हुए 175 करोड़ के ताज कॉरिडोर घोटाले में सीबीआई को मिली मुकदमा चलाने के लिए मिली पहली अभियोजन स्वीकृति पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित 11 को बनाया गया था आरोपी।

ताजमहल के आस पास के क्षेत्र को विकसित करने के लिए ताज कॉरिडोर का प्रोजेक्ट तैयार किया गया, इसकी पहली बैठक 29 जुलाई 2002 को लखनऊ में हुई। इसमें कॉरिडोर कारिडोर बनाने के लिए नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) का नाम तय हुआ।ताज कारिडोर को बनाने के लिए एनपीसीसी को ठेके का आवंटन किए बिना ही 17 करोड़ और 20 करोड़ की धनराशि जारी कर दी गई थी। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई सीबीआइ ने अपनी चार्जशीट में इस बात का प्रमुखता से उल्लेख किया है कि न तो कंपनी को ठेका दिया गया और न ही वर्क आर्डर जारी किया गया, लेकिन कंपनी ने 37 करोड़ लेकर काम भी शुरू कर दिया था। 175 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट की डीपीआर भी तैयार नहीं की गई थी।
इस तरह चली कार्रवाई
सीबीआइ जांच शुरू होने के चार साल बाद पांच जून 2007 को मायावती व नसीमुद्दीन के खिलाफ अभियोजन को अस्वीकृत कर दिया गया था। दो साल बाद नौ मार्च 2009 को आरोपित अधिकारियों आरके शर्मा, आरके प्रसाद के खिलाफ अग्रिम अभियोजन पर रोक लगा दी गई थी। मायावती व नसीमुद्दीन सहित सरकार के बाकी अधिकारियों के खिलाफ मामला अदालत में लंबित है। सीबीआइ को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) के सेवानिवृत्त एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ बीस साल बाद पहली अभियोजन मंजूरी मिली है। इस मामले में सीबीआइ पश्चिम के विशेष न्यायाधीश की अदालत में 22 मई को सुनवाई होगी।
इन्हें बनाया गया आरोपी
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व मुख्य सचिव डीएस बग्गा, मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रमुख सचिव पीएल पुनिया, पर्यावरण विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव आरके शर्मा, पर्यावरण विभाग के तत्कालीन सचिव वीके गुप्ता, पर्यावरण विभाग के तत्कालीन अनु सचिव राजेन्द्र प्रसाद, केन्द्रीय पर्यावरण व वन विभाग के तत्कालीन सचिव केसी मिश्रा, एनपीसीसीएल के तत्कालीन चेयरमैन व एमडी एससी बाली, इश्वाकु इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली, कंसलटेंट्स आर्कीटेक्टस एंड प्लानर्स लिमिटेड (कैप्स) नई दिल्ली।