आगरालीक्स… आगरा में यमुना एक्सप्रेस वे के बाद आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे से आपके होश उड जाएंगे। सात महीने में 688 हादसे और 90 लोगों की मौत हुई है। गरा डेवलपमेंट फाउंडेशन (एडीएफ) की आरटीआई में एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे के आंकडे चौंकाने वाले हैं।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को हल्के वाहनों के लिए 23 दिसंबर, 2016 को खोला गया था। टोल 19 जनवरी, 2018 की मध्य रात्रि से लगाया गया।
एडीएफ के सचिव केसी जैन द्वारा उ.प्र. एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) से इस आशय की सूचना मांगी थी। इसमें जानकारी दी गई है कि एक अगस्त 2017 से लेकर 15 फरवरी 2018 तक इस रास्ते पर 688 हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में 90 लोगों की मौत हो गई।
हर दूसरे दिन एक मौत
एक तरह से यमुना एक्सप्रेस वे पर 199 दिन में 688 हादसे और 90 लोगों की मौत हुई है, एक तरह से हर दूसरे दिन एक्सप्रेस वे पर हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। त्रलोगों की सुविधा के लिए बनाया गया मार्ग बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। यह खुलासा आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन (एडीएफ) की आरटीआई में हुआ है। हादसों को लेकर एडीएफ के पदाधिकारियों ने चिंता व्यक्त की है। साथ ही इस एक्सप्रेसवे पर रफ्तार नियंत्रित करने के उपकरण न होने पर भी सवाल उठाया है। एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम के तहत वाहनों की रफ्तार पर अंकुश लगाने के लिए आटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर कैमरे और स्पीड रिकॉर्डिंग कैमरे नहीं लगाए गए हैं। दावा है कि एक्सप्रेसवे पर चलने वाले अधिकतर वाहन 125-150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलते हैं। यह एक्सप्रेसवे पर मान्य गति सीमा से काफी ज्यादा है। एक्सीडेंट की वजह टायर फटना भी है।
नहीं दी गई जानकारी
आरटीआई में इस एक्सप्रेसवे पर मिलने वाली सुविधाओं के बारे में भी पूछा था। लेकिन इनका जवाब स्पष्ट नहीं मिला। वे साइट एमिनिटीज में पीने का पानी और शौचालय सुविधा उपलब्ध कराने का दावा किया गया। और फूड ज्वाइन्ट, मोटल, ढाबा, डोरमेटरी, शॉपिंग एरिया, सिटिंग एरिया, सर्विसेज़ (जिसमें रेस्टरूम सम्मिलित है), व्हीकल रिपेयर वर्कशाप, बाइक व कार पार्किंग, ट्रक पार्किंग, टायलेट ब्लाक्स एवं फ्यूल स्टेशंस की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु एजेंसी चयन की प्रक्रिया चल रही है। सुविधायें कब प्रदान की जानी हैं, उसकी किसी तारीख का कोई उल्लेख नहीं है। अभी तो सुविधा देने वाली एजेन्सी को चयन करने की प्रक्रिया चल रही है, चयनित होने के बाद में सुविधा वास्तव में कितने दिन में उपलब्ध होगी, यह प्रश्नचिन्ह है।