आगरालीक्स…. आगरा में श्मशान घाट से ताजमहल सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहा है। नीरी ने सुप्रीम कोर्ट में जमा की प्रगति रिपोर्ट, ताजगंज श्मशान घाट को शिफ्ट करने के विरोध में हो चुका है जनआंदोलन।

ताजमहल के आस पास आवासीय भवन और प्रतिष्ठानों से ताजमहल को नुकसान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इस्टीटयूट नीरी को ताजमहल की चहारदीवारी से 500 मीटर की परिधि में हो रही व्यवसायिक गतिविधियों से ताजमहल पर पड़ रहे प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कहा था। इस पर नीरी की सात सदस्यीय टीम ने तीन से सात जनवरी तक ताजमहल पर अध्ययन किया।
श्मशान घाट पर हो रहे अंतिम संस्कार से सबसे ज्यादा प्रदूषण
नीरी ने अपनी प्रगति रिपोर्ट में कहा है कि ताजमहल की पश्चिमी दिशा में 350 मीटर पर श्मशान घाट स्थित है। श्मशान घाट में 15 से 20 शवों का अंतिम संस्कार हर रोज हो रहा है। इसमें 300 से 350 किलो लकड़ी सहित अन्य ज्वलनशील सामग्री जलाई जाती है, इससे ताजमहल सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहा है।
तीन महीने में पूरी होगी रिपोर्ट
नीरी ने प्रगति रिपोर्ट जमा करते हुए कहा है कि विस्त्रत रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने का समय चाहिए। नीरी को ताजमहल के पास अध्ययन करने के लिए एडीए ने 16.16 लाख रुपये का भुगतान किया है।
श्मशान शिफ्ट करने का हुआ था विरोध
1995 96 में सुप्रीम कोर्ट ने ताजगंज श्मशान घाट को शिफ्ट करने के आदेश दिए थे। इसके लिए नगर निगम ने बमरौली कटारा में कपीस के पास श्मशान घाट बनाया था, ताजगंज श्मशान घाट को बंद कर कपीस पर बने नए श्मशान घाट में अंतिम संस्कार शुरू किए जाने थे। इसका शहर में बड़े स्तर पर विरोध हुआ, इसके बाद 2016 में दोबारा श्मशान घाट को शिफ्ट करने की बात उठी। यूपी सरकार ने इसे जन भावनाओं से जुड़ा मुददा बताया और ताजगंज श्मशान घाट पर बनाए गए विद्युत शवदाहग्रह का उपयोग बढ़ाने के लिए कहा गया था।