आगरालीक्स …आगरा में गर्मी में गुर्दे की पथरी के मामले बढ़ गए हैं। शांतिवेद इंस्टीटयूट आफ मेडिकल साइंसेस, सिकंदरा आगरा में बिना चीरा और कट लगाए आरआईआरएस तकनीकी से निकाली जा रही पथरी, जानें
आगरा के हाईवे सिकंदरा स्थित शांतिवेद इंस्टीटयूट आफ मेडिकल साइंसेस में गुर्दे की पथरी को शरीर में कट लगाए बिना निकाला जा रहा है। आरआइआरएस तकनीकी के बारे में शांतिवेद इंस्टीटयूट आफ मेडिकल साइंसेस के निदेशक डा श्वेतांक प्रकाश ने विस्तार से समझाया
आरआईआरएस तकनीक क्या है और कितनी कारगर ?
दूरबीन द्वारा किडनी के अंदर लचीले यूरेटोस्कोप की मदद से की जाने वाली सर्जरी को रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी (आरआईआरएस) कहते हैं। दूरबीन को मूत्र मार्ग से किडनी तक पहुंचाया जाता है। यहां बनने वाली स्टोन को लेजर किरणों से तोड़ा जाता है।
क्या इसमें मरीज के शरीर में कट भी लगाया जाता है ?
इस तकनीक में कट नहीं लगाया जाता। दरअसल, पहले दूरबीन से जो ऑपरेशन होते थे, उसमें कई बार डॉक्टर अपनी सहूलियत के लिए बड़ा कट लगा देते थे। इस नई तकनीक में कट लगाने की गुंजाइश ही नहीं है।
आरआईआरएस सर्जरी की होल सर्जरी से कितनी भिन्न है?
आरआइआरएस सर्जरी में लेप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी की तरह त्वचा चीरा नहीं लगाया जाता। लेजर किरणों से स्टोन को तोड़ने के बाद एक बास्केट की मदद से मूत्र मार्ग के द्वारा उसे निकाल दिया जाता है।
आरआईआरएस के बाद भी क्या स्टेंट रखा जाना आवश्यक है ?
अधिकांश मामलों में स्टेंट का रखा जाना जरूरी होता है। मूत्र वाहिनी को खुला रखने के और स्टोन को बाहर निकालने में यह स्टेंट सहायक हैं। छोटे आपरेशन से स्टेंट को निकाल दिया जाता है।