महाश्विरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का दिन है। भगवान शिव का तांडव और माता पावर्ती के लास्यनृत्य के समन्वय से ही सृष्टि में संतुलन बना हुआ है।
माता सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। मां पार्वती ने आरम्भ में अपने सौंदर्य से भगवान शिव को रिझाना चाहा लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं।
माता पार्वती ने भोलेनाथ को पाने के लिए गौरीकुंड में कठिन ध्यान और साधना से उन्होंने शिवजी का मन जीत लिया। इसी दिन भगवान शिव और आदिशक्ति का विवाह संपन्न हुआ।
भोलेनाथ थोड़ी सी भक्ति और बेलपत्र और जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। समुद्र मंथन से निकले विष को पीने से शिवजी के मस्तिष्क की गरमी कम करने के लिए देवताओं ने जल उड़ेलना शुरू कर दिया और ठंडी तासीर होने की वजह से बेलपत्र भी चढ़ाए।
आठ मार्च को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। वैसे दिन में पूजा की जाती है लेकिन महाशिवरात्रि पर रात में भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है
महाशिवरात्रि पर 300 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में शिव पूजन करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग धन लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव की उपासना के समय शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करना शुभ होता है। ऐसा करने से श्रद्धालु के कार्य जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।