आगरालीक्स… चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी पुष्य नक्षत्र, धृति योग के शुभ संयोग में कल होगी महागौरी की पूजा। जानें किन्हें विशेष फलदायी है पूजा व चौघड़िया मुहूर्त…
अष्टमी पर कन्या पूजन पर व्रत आज

श्री गुरु ज्योतिष संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक जिन परिवारों में या जिन माताओं बहनों के यहां अष्टमी के दिन कन्या पूजन होता है उन माताओं बहनों को सप्तमी आज ही व्रत रखना उचित रहेगा।
महागौरी को गुलाबी रंग पसंद, भोग में नारियल
माता महागौरी को गुलाबी रंग पसंद है भोग में नारियल इससे पसंद है इससे संतान संबंधी परेशानियों से हमेशा-हमेशा को मुक्ति मिलती है।
सौभाग्य, धन संपदा, सौंदर्य की अधिष्ठात्री हैं महागौरी
-मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम माता महागौरी है नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा का विधान है सौभाग्य, धन संपदा, सौंदर्य और स्त्रीजनित गुणों की अधिष्ठात्री देवी महागौरी हैं ,18 गुणों की प्रतीक महागौरी अष्टांग योग की अधिष्ठात्री देवी हैं वहधन-धान्य, ग्रहस्थी ,सुख और शांति की प्रदात्री है महागौरी इसी का प्रतीक है इस गौरता कि उपमाशंख,चंद्र और कुंद के फूल से की गई है इनके समस्तवस्त्र आभूषण आदि श्वेत हैं।
महागौरी सृष्टि का आधार
अपने पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी इससे उनका शरीर एकदम काला पड़ गया था तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया (छिड़का )तो वह विद्युत प्रभाके समान अत्यंत कांतिमान गौर (अति सुंदर) हो गई और वह माता महागौरी हो गई महागौरी सृष्टि का आधार है मां गौरी की अक्षत सुहाग की प्रतीक देवी हैं इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप संतापदैन्य दुख उनके पास कभी नहीं आतेहै।
महागौरी की पूजा अत्यंत ही कल्याणकारी

मां महागौरी का ध्यान सर्वाधिक कल्याणकारी है, जिन घरों में अष्टमी पूजन किया जाता है और अष्टमी के दिन जो माताएं बहने अपने नवजात शिशु की दीर्घायु एवं उत्तम स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पूजा याव्रत रखती हैं या पथवारी माता की पूजा करती हैं उन सभी के लिए अष्टमी का व्रत माता महागौरी की पूजा अत्यंत ही कल्याणकारी व महत्वपूर्ण होती है
महागौरी को शिवा भी कहा जाता
सुख संपन्नता प्रदाता माता महागौरी महागौरी को शिवा भी कहा जाता है इनके एक हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरु है तीसरा हाथ वर मुद्रा में है और चौथा हाथ एक ग्रहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता है नवरात्र के आठवें दिनमाता महागौरी की उपासना से भक्तों के जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं।
पूजा पाठ एवं कन्या लांगुरा जिमाने का शुभ मुहूर्त
विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार प्रातः 10:45से लेकर दोपहर 01:54 तक तीन बहुत ही सुंदर “चर,लाभ, अमृत “के चौघड़िया मुहूर्त रहेंगें जो पूजा पाठ हवन यज्ञ अनुष्ठान के लिए बहुत ही सर्वोत्तम कहे जा सकते हैंय़
इसमें सभी प्रकार के घरेलू लोग, पढ़ाई लिखाई करने वाले विद्यार्थियों और व्यापारियों के लिए भी शुभ कहा जाएगा इसमें नौकरी पेशा और पढ़ने वाले बच्चों के लिए पूजा करना सर्वोत्तम रहेगा, इसमें व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए पूजा पाठ करना व जिन कन्याओं की शादी में विलंब है व जिन माताओं बहनों के संतान में दिक्कत परेशानियां आरही हैं उन लोगों के लिए पूजा पाठ करना सर्वोत्तम रहता है
इस तरह करें पूजा की तैयारी
इसके लिए माता बहने प्रातः काल उठकर साफ शुद्ध होकर पूजा घर में गंगाजल को छिडकेउसे शुद्ध करें माता को नए वस्त्र आभूषण, सजावट ,सिंगार करके पूजा पूजा घर को सुन्दरबनाये पूजा घर में 9 वर्ष तक की कन्या से हल्दी, रोली या पीले चंदन का हाथ का (थापाचिन्ह)लगवाएं जिससे देवी मां का स्वरूप मानते हैं।
कन्या लांगुरा जिमाना भी जरूरी
बच्ची को यथायोग्य दक्षिणा या उपहार देकर विदा करें उसके पैर छुए आशीर्वाद लें इसके बाद सपिरवार वहां बैठ कर पूजा पाठ हवन यज्ञ अनुष्ठान माला जाप दुर्गा सप्तशती का पाठ आदि करें तत्पश्चात कन्या लांगुरा अवश्य जिमाये बचे हुए प्रसाद मैसे थोड़ा सा भोग प्रसाद अवश्य लें इसे माता का भोग प्रसाद समझकर ग्रहण करें इससे ही व्रत का पारण होता है
पौराणिक मंत्र
सर्व मंगल मांगल्यै शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्यै त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते