आगरालीक्स…सावन में शिव कथा सुनने से से होता है कल्याण. जीवन को भक्तिपूर्ण बनाना बताती है शिव पुराण कथा…
बल्केश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में श्री शिव महापुराण कथा के छठे दिवस पर राष्ट्रीय संत अरविंद जी महाराज ने श्रावण माह को श्रेष्ठ समय बताया है शिव कथा श्रवण करने के लिये। वो कहते है कि छोटा सा जीवन है । मनुष्य का उस जीवन में हम कैसे भक्ति साधना कर सकते हैं, जीवन को कैसे भक्तिपूर्ण बना सकते हैं, ये एकमात्र शिवपुराण कथा ही बताती है। जैसे जैसे ईश्वर की भक्ति में डूबते जाओगे, तब जीवन के आनंद की अनुभूति होगी।
शिवमहापुराण की महिमा बताते हुए कहते है कि भगवान शिव अपने भक्त पर सदैव कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। भगवान रुद्र मूलतः तो एक ही हैं। तथापि जगत के कल्याण के हेतु अनेक नाम रूपों में अवतरित होते हैं।
भगवान शिव का एक नाम ‘रुद्र’ है । दु ख का नाश करने तथा संहार के समय क्रूर रूप धारण करके शत्रु को रुलाने से शिव को रुद्र कहते हैं। जब इंद्र आदि समस्त देवता दैत्यों से पराजित और भयभीत होकर अपनी ऐश्वर्य नगरी अमरावती पुरी से भाग कर अपने पिता महर्षि कश्यप के आश्रम की ओर आए। वहां उन्होंने अपनी कष्ट कथा, अपने पिता कश्यप जी तथा अपनी माता अदिति को सुनाई। भगवान सदाशिव में आसक्त बुद्धि वाले कश्यपजी ने शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव के चरण कमलों की स्तुति की और कहा, हे नाथ! महाबली दैत्यों ने देवताओं और यक्षों को पराजित कर दिया है, इसलिए हे प्रभु आप मेरे पुत्र रूप में प्रकट हो, भगवान शंकर के अवतार लेने की बात जानकर देवताओं का मन प्रसन्नता से भर गया।
कुछ समय के पश्चात भगवान शंकर ने अपना वचन सत्य करने के लिए कश्यप द्वारा सुरभी के गर्भ से ग्यारह रुद्र के रूप में अवतार धारण किया। भगवान के इन रुद्र अवतारों से सारा जगत शिवमय हो गया। इन ग्यारह रुद्रों के नाम हैंः कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शंभु, चंड और भव। ये एकादश रुद्र सुरभी के पुत्र कहलाते हैं। कथावाचक ने शिव अवतार, पार्थिव शिवलिंग पूजा, एकादश रुद्र महिमा, दुर्वासा-अम्बरीष कथा तथा विश्व-मोहिनी कथा के बारे में विस्तार से बताया।