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A drop of rain can change the scene of water crisis

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आगरालीक्स…  (देवेन्द्र कुमार) ..  जल ही जीवन है…ये बात वर्तमान में पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है। पानी की कमी कितनी हो गई है इसका अहसास भी लोगों को होने लगा है। जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है। शहर के ज्यादातर इलाके ऐसे हैं, जहां वाटर लेवल बेहद नीचे चला गया है। इन जगहों पर हैंडपंप और सबमर्सिबल पंप भी खराब पड़े हैं। बीते कुछ महीने पहले से आगरा में पानी मुख्य समस्या बनकर उभरी है।
लोगों ने पानी के लिए सड़क जाम की, टंकी पर चढ़े और प्रदर्शन किए। पानी ने लोगों को बुरी तरह से तरसा दिया। पिछले दो दिन से शहर में अच्छी बारिश हुई है..और मौसम विशेषज्ञों की मानें तो इस बार मानसून काफी अच्छा है। भरपूर बारिश होगी। ऐसे में पानी के लिए तरस रहे शहर के नागरिक अगर जरा ध्यान दें, तो यह मानसून उनके लिए वरदान साबित हो सकता है। इस पर अफसोस ही किया जा सकता है कि आगरा की गिनती उन शहरों में होती है जहां पानी की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। लेकिन पानी की बचत और संरक्षण को लेकर यहां दूसरे शहरों के मुकाबले जागरूकता कम है। अन्य शहरों में लोगों ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिये अपने क्षेत्र के भूमिगत जल का स्तर बढ़ा लिया है। मानसून आने वाला है। गर्मी में होने वाली पानी की समस्या से जंग रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के हथियार से ही जीती जा सकती है। अब आपकी बारी है। आप चाहें तो आसमान से बरसने वाले इस कुदरती खजाने को सहेजकर अपना और आने वाली पीढ़ी का कल भी सुरक्षित कर सकते हैं।
इन क्षेत्रों में है पानी की अधिक समस्या
आगरा में कई ऐसे स्थान हैं जहां पर 12 माह पानी की समस्या रहती है। इनमें शहर के बाहर की कॉलोनियां अधिकतर हैं। शास्त्रीपुरम, आवास विकास, रोहता, ताजनगरी, ट्रांसयमुना, छलेसर, टेढ़ी बगिया आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां पानी की समस्या से लोग जूझते रहते हैं। इनके अलावा शहर में भी नगला पदी, कमलानगर, गोपालपुरा, जगदीशपुरा आदि क्षेत्र भी इस समस्या से त्रस्त हैं।
ऐसे कर सकते हैं पानी का बचाव
वॉटर हार्वेस्टिंग ही एकमात्र तरीका है, जिससे पानी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। पाइप के जरिए इसे जमीन में बने एक कुएं से धरती में डाला जाता है। इस प्रोसेस से जमीन पानी सोख लेती है, ग्राउंड वॉटर लेवल बढ़ने लगता है। इसके अलावा दूसरे सिस्टम में पहली बारिश के गंदे पानी को बहाकर, अच्छे पानी को फिल्टर से सीधे कुएं या ट्यूबवेल से जोड़ा जाता है।

वाटर हार्वेस्टिंग के रोचक फैक्ट
हर साल गर्मियों में 3 से 8 मीटर नीचे चला जाता है ग्राउंड वाटर।
हर सीजन में औसतन 1200 मिलीमीटर बारिश होती है।
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हो तो 1000 वर्गफीट के मकान में एक सीजन में 1 लाख 20 हजार लीटर पानी सेव किया जा सकता है।
हर व्यक्ति को रोजाना 120 लीटर पानी की होती है जरूरत।
शहर में लाखों भवनों में कुछ ही घरों में लगा है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम।
5 से 12 हजार रुपए खर्च आता है हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने में।

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