आगरालीक्स …..अल्ट्रासाउंड कराओ तो रिपोर्ट में आता है फैटी लिवर, आखिर है क्या है फैटी लिवर, (NASH) दिवस पर आगरा गेस्ट्रो एंड लिवर सेंटर के वरिष्ठ गेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्टों ने विस्तार से समझाया।
फिट रहने के लिए लिवर रहे ठीक
आगरा गेस्ट्रो लिवर सेंटर, रघुनाथ मेडिकल काम्प्लेक्स पुराना रघुनाथ सिनेमा के वरिष्ठ गेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्टों डॉ. समीर तनेजा ने बताया कि लिवर हमारे शरीर में पहुंचने वाले केमिकल, दवाओं को मेटाबॉलाइज करता है, इसलिए अगर आप ठीक रहना चाहते हो तो लिवर भी ठीक रहना चाहिए। मगर, ऐसा हो नहीं रहा है, लिवर जिसकी हम अनदेखी कर रहे हैं उसमें कई तरह की समस्याएं हो रही हैं।
लिवर में 5 प्रतिशत से अधिक फैट सेल, मतलब एनएएसएच
वरिष्ठ गेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्टों डॉ. दिनेश गर्ग ने बताया कि लिवर में भी फैट जमा होने लगा है, लिवर में फैट सेल्स पांच प्रतिशत से अधिक हो जाएं तो सतर्क हो जाना चाहिए। इसे नॉन एल्कोहलिक स्टेटोहेपेटाइटिस यानी (NASH) कहा जाता है। खास बात यह है कि इसके प्रारंभिक लक्षण नहीं आते हैं जब फैट सेल्स ज्यादा जमा होने लगती हैं तो मरीज को भूख न लगना, थकान सहित सामान्य समस्याएं होती हैं। इसका इलाज न कराने पर लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का खतरा रहता है।
फैटी लिवर डिजीज है घातक
वरिष्ठ गेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्टों डॉ. पंकज कौशिक ने बताया कि जब लिवर में फैट सेल्स अधिक हो जाते हैं तो इसे नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज माना जाता है, यानी ऐसे लोग जो शराब तो नहीं पीते हैं पर यह समस्या हो रही है क्योंकि यह माना जाता है कि शराब पीने वालों को ही लिवर में परेशानी होती है। यह ऐसी स्थिति होती है कि मरीज को इलाज कराने के साथ ही सावधानी बरतनी चाहिए। जिससे कि लिवर को सही रख सके। फैटी लिवर डिजीज मधुमेह, मोटापा से पीड़ित मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रहा है।
फास्ट फूड से कम उम्र में फैटी लिवर
वरिष्ठ गेस्ट्रोएंट्रोलाजिस्टों डॉ. विनीत चौहान का कहना है कि फैटी लिवर डिजीज का एक बड़ा कारण फास्ट फूड का सेवन है। तनाव भरी जिंदगी के साथ ही खाने और सोने का समय नहीं है। इससे यह समस्या अब कम उम्र में देखने को मिल रही है। इससे बचने के लिए वजन ना बढ़ने दें, नियमित व्यायाम करें और टहलें जिससे वजन कम हो सके, चिकनाई युक्त भोजन का सेवन न करें।