Video News : Senior Citizen are suffering from isolation syndrome
Agra Nagar Nikay election 2023 : Slogans out from candidates campaigning in Agra #agra
आगरालीक्स…आगरा में निकाय चुनाव से नारे गायब, मैय्या कह गई लल्ला से, वोट डलेंगे हल्ला से तो सुना ही नहीं, युवा पीढ़ी को तो अब नारे गढ़ने से भी परहेज। आपकी राय..
प्रत्याशी अब रखते हैं फूंक-फूंक कर कदम
चुनावों को लेकर आचार संहिता की सख्ती के बाद से राजनीतिक दलों के प्रत्याशी फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं। प्रचार का तरीका नुक्कड़ सभाएं, जनसंपर्क और किसी एक बड़े नेता की जनसभा तक सिमट गया है।
आचार संहिता के चलते पहले जैसा जोश नहीं
आगरा में प्रचार पर निकल रहे प्रत्याशियों के साथ लोगों की भीड़ तो साथ चलती है लेकिन पहले जैसी नारेबाजी नजर नहीं आती है। पोस्टर भी यदा-कदा प्रत्याशियों द्वारा चस्पा किए जा रहे हैं। वह भी आचार संहिता का ख्याल करते हुए बिल्ले-बैनर तो कभी के गायब हो चुके हैं।
भाजपा के प्रचार में सिर्फ जय श्रीराम
भाजपा प्रत्याशी जरूर प्रचार के दौरान जयश्री राम के नारे लगाते हुए मिल जाते हैं लेकिन ज्यादा नारेबाजी नहीं की जा रही है। कस्बों और गांवों में भी ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलता।
ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा गायब
भाजपा यूपी के निकाय चुनावों में ट्रिपल इंजन की सरकार के नारे के साथ मैदान में है लेकिन यह नारा कहीं सुनाई नहीं पड़ता। सिर्फ कमल खिलाना, भाजपा को जिताना है के नारे तक सीमित है।
हाउस टैक्स हाफ, वाटर टैक्स माफ.. भी लापता
आम आदमी पार्टी भी चुनाव में कूदी है लेकिन उनकी पार्टी द्वारा दिया गया नारा हाउस टैक्स हाफ, वाटर टैक्स माफ का नारा कहीं नजर नहीं आता है।
मैय्या कह गई लल्ला से, वोट डलेंगे हल्ला से
कुछ स्थानों पर यह नारा भी सुनाई दे रहा है मैय्या कह गई लल्ला से, वोट डलेंगे हल्ला से… यह नारा किस दल का यह तो ठीक नहीं लेकिन भाजपा के साथ सपा और बसपा के कार्यकर्ता जरूर लगाते हुए नजर आ जाते हैं।
साइकिल औऱ हाथी के ऊपर भी नारे नदारद
बुजुर्गों का कहना है कि पहले सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता चुनावी नारे गढ़ने में माहिर होते थे। मुलायम सिंह के समय में सपा के कई नारे लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे। लेकिन सपा प्रत्याशी भी साइकिल को जिताना है के नारे लगाते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस और बसपा के चुनावी नारे भी इस बार गायब है। बसपा के चुनावी नारे हाथी के साथ काफी फेमस रहे थे।
लोकगीत तो अब खत्म ही हो गए प्रचार से
बुजुर्ग महिलाओं के मुताबिक पहले चुनाव प्रचार में प्रत्याशी के परिवार की महिलाएं अपने मोहल्ले की महिलाओं के साथ लोकगीत गाते हुए चुनाव प्रचार करती थीं लेकिन वह तो सिरे से ही गायब हो गए हैं। गांवों में मतदान के समय जरूर कहीं-कहीं महिलाएं टोली में लोकगीत गाती जरूर नजर आ जाती हैं।