आगरालीक्स… आगरा में दुनिया भर से न्यूरोसर्जन जुट रहे हैं। यमुना एक्सप्रेस वे और लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हादसे से हो रही मौत पर न्यूरोसर्जन डॉ आरसी मिश्रा की अलग ही राय है। वे कहते हैं कि ट्रॉमा 100 फीसद रोका जा सकता है। एक हेलमेट से जान बच सकती है और रोड सुरक्षा व स्पीड को नियंत्रित रख कार सवारों की जान बचाई जा सकती है।
बुधवार को रेनबो हॉस्पिटल में आयोजित प्रेसवार्ता में आगरा न्यूरोसर्जन सोसायटी द्वारा छह से आठ अप्रैल तक होटल जेपी पैलेस में होने आयोजित होने जा रहे इंटरनेशनल कोर्स के बारे में जानकारी देते हुए संयोजक डॉ आरसी मिश्रा ने बताया कि ट्रॉमा को रोका जा सकता है लेकिन ट्रॉमा के बाद मरीज की जान बचेगी या नहीं, इस बारे में कुछ भी नहीं कह सकते। अक्सर बाइक सवार हेलमेट पहन लेते हैं लेकिन पीछे बैठी महिलाएं हेलमेट नहीं पहनती। अक्सर सिर में चोट के केस में महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है। हेड इंजरी के 40 फीसद केस में हेलमेट न पहनना कारण होता है, इसमें से 26 फीसद की मौत हो जाती है।
न्यूरोसर्जन को होता है दुख और जान न बचा पाने का दर्द

डॉ आरसी मिश्रा ने कहा कि ट्रॉमा के मरीज की जान न बचा पाने का न्यूरोसर्जन को दर्द और दुख होता है। वह जानता है कि इसे रोका जा सकता है, इसके लिए लोगों की सोच बदलनी चाहिए और मीडिया इसमें सहभागिता कर सकती है।
तीन दिन तक ताजनगरी में मंथन करेंगे डॉक्टर
आगरा में 2010 के बाद यह बडी कांफ्रेंस होने जा रही है। इसमें देश विदेश से डॉक्टर आ रहे हैं। 10 फैकल्टी, अमेरिका जापान सहित अन्य देशों से हैं। जबकि 21 फैकल्टी भारत से हैं। ये ब्रेन टयूमर, स्ट्रोक, ट्रॉमा सहित अन्य बीमारियों के अत्याधुनिक इलाज पर चर्चा करेंगे। इस दौरान डॉ अरविंद अग्रवाल, डॉ संजय गुप्ता, डॉ मयंक बंसल, डॉ अजय सिंह, डॉ म्रदुल शर्मा आदि मौजूद रहे।