आगरालीक्स…कोरोना के बाद स्ट्रोक के मामले 50 प्रतिशत तक बढ़े. इनके लिए हर तीन घंटे में मिलना चाहिए इलाज. विशेषज्ञों ने बताईं गंभीर मरीजों के इलाज पर चर्चा…
ट्रामा के मरीजों में बुखार और ब्लड शुगर का बढ़ना घातक है। यह सामान्य रहना चाहिए। इसके लिए न्यूरोट्रामा सेंटर की संख्या बढ़ाने के साथ ही न्यूरोक्रिटिकल केयर में प्रशिक्षण जरूरी है। वहीं, कोरोना काल के बाद से स्ट्रोक के मामलों में 50 प्रतिशत इजाफा हुआ है, हालांकि इसका सही कारण अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन स्ट्रोक के मरीजों को तीन घंटे के अंदर इलाज मिलने से वे ठीक हो सकते हैं। रविवार को होटल डबल ट्री बाई हिल्टन में चल रही दो दिवसीय सोसाइटी आफ न्यूरोक्रिटिकल केयर की राष्ट्रीय कार्यशाला में दूसरे दिन गंभीर मरीजों के इलाज पर चर्चा की गई।
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सोसाइटी आफ न्यूरोक्रिटिकल केयर के अध्यक्ष डॉ. हिमांशु प्रभाकर ने बताया कि ट्रामा के मरीजों को बुखार आता है, शुगर का स्तर बढ़ जाता है तो यह घातक हो सकता है। दवाओं से स्पंजिंग का मरीज के शरीर का तापमान सामान्य करना चाहिए। कई बार खून का थक्का जमने, संक्रमण और फंगल इन्फेक्शन के कारण भी ट्रामा के मरीजों को बुखार आने लगता है। इसके साथ ही मरीज के आक्सीजन के स्तर पर भी नजर रखनी चाहिए। वहीं, ट्रामा के मरीजों को लंबे समय तक आइसीयू में भर्ती रहना पड़ता है, इससे उनमे मनोरोग की समस्या भी देखने को मिल रही है वे बाहर नहीं निकल पाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि मरीज की तबीयत में सुधार आने पर उसे चलाएं, फिजियोथैरेपी की भी मदद लें। संभव हो सकते तो मरीज को घर भेज दें वे घर पर ही आइसीयू तैयार कर सकते हैं।
सोसाइटी के संस्थापक डॉ. हर्ष सप्रा ने बताया कि विश्व में सबसे ज्यादा दुर्घटना भारत में होती हैं और सबसे ज्यादा ट्रामा के मामले भी भारत में हैं। ऐसे में जरूरत है कि न्यूरो ट्रामा सेंटर खोले जाएं अभी 35 ही सेंटर है। जिन जगहों पर न्यूरोट्रामा सेंटर नहीं खोले जा सकते हैं वहां के डाक्टरों को प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के बाद से स्ट्रोक के मामले 50 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसका कोई कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन कोरोना के समय खून की नसों में सिकुड़न आई थी इसके कारण भी यह समस्या हो सकती है। सोसायटी के पदाधिकारियों द्वारा देश भर से ए 20 डॉक्टरों को फैलोशिप अवार्ड प्रादन किया गया।
कार्यशाला में शाम को प्रेसीडेंशियल ओरेशन के साथ ही समापन समारोह में चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। सोसाइटी के अध्यक्ष हिमांशु प्रभाकर, सचिव डा. वसुधा, आयोजन अध्यक्ष डॉ. रनवीर सिंह त्यागी, डॉ. राकेश त्यागी, डॉ. दीप्तीमाला, डॉ.वंदना कालरा, डॉ. प्रशांत लवानियां, डॉ. जय प्रकाश, डॉ. ललिता सिंह, डॉ. सुनील गर्ग, डॉ. सीमंत झा, डॉ. नीरज त्यागी आदि मौजूद रहे।