आगरालीक्स…आगरा के ‘माननीयों’ को जगाने के लिए सिविल सोसाइटी ने शुरू किया ‘जागो मोहन प्यारे’ अभियान. प्वाइंटों में बताईं आगरा की ये समस्याएं
सिविल सोसाइटी आफ आगरा की ओर से एक नया अभियान ‘जागो मोहन प्यारे’ शुरू किया गया है। यह अभियान उन्होंने एक तरह से आगरा के उन ‘माननीयों’ को जगाने के लिए किया है जो कि समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं। इस सम्बन्ध में सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का कहना है कि हम और आप महसूस करते हैं कि विकास और आर्थिक उन्नति के परिपेक्ष्य में ‘आगरा’ लगातार पिछड़ता जा रहा है। हम सरकारी आंकड़ों और जनप्रतिनिधियों के दावों को लेकर कुछ नहीं कहते । सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा की चिंता मुख्य रूप से देश व उ प्र के अन्य महानगरों में हो रहे कार्यों की तुलना में कहीं पीछे रहने को लेकर है। इसकी वजह सिविल सोसायटी ऑफ आगरा उन महानुभावों का सुप्त अवस्था में होना और दिशाहीन स्थिति में होना मानती है। इसके तहत सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की ओर से सामाजिक व राजनैतिक जागरूकता के लिये ‘जागो मोहन प्यारे’ ,अभियान शुरू किया जा रहा है।”

ये बताईं कमियां
- नागरिक सेवाओं की स्थितियों में लगातार गिरावट आ रही है,जबकि जन प्रतिनिधियों की सक्रियता से इनमें सुधार आना चाहिये था।
- बहु प्रतीक्षित ‘गंगाजल’ पाइप लाइन सेवा पूरी हो गयी किन्तु इसके बावजूद महानगर का एक बडा भाग पाइप लाइन वाटर सप्लाई सिस्टम से जुडने के इंतजार में है। हाल में दीपावली पूर्व समूचे महानगर को पेयजल आपूर्ति के संकट का सामना करना पड़ा। तब सामने आया कि गंगाजल का पानी किन्हीं पर्याय कारणों से बंद हो गया है और यमुना जल का उपयोग वाटर सप्लाई के लिये जल संस्थान बन्द कर चुका है।
- पिछले 5 साल में महानगर की सड़कों की पटरियों पर अतिक्रमणों की संख्या व घनत्व काफी बढ़ गया है। इनमें से अनेक तो सरकारी योजनाओं के तहत सृजित संपत्तियां हैं। सड़कों कि बदतर हालत सर्व विदित है।
- महात्मा गांधी रोड सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की यथावत प्रयोगशाला बनी हुई है,लेकिन इससे महानगर के विस्तृत आकार की जरूरत पूरी नहीं हो सकी है। आगरा को बेहतर व प्रभावी परिवहन सुविधा चाहिये न कि सीमित उद्देश्यों के लिये संचालित डेमो प्रोजेक्ट।
- महानगर की बिजली सप्लाई अब पूरी तरह से निजी कंपनी के रहमो करम पर है, जनता की बिजली के बिलों को लेकर शिकायतें लगातार बढ़ी हैं। पड़ोसी महानगर दिल्ली में जहां छोटे विद्युत उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है,वहीं आगरा में तो छोटे उपभोक्ताओं को ही विद्युत राजस्व उगाही का लक्ष्य बनाया हुआ है।
- विद्युत उपभोक्ताओं के कंज्यूमर कोर्ट में निस्तारित मामलों और निर्णयों के विरुद्ध दायर अपीलों की समीक्षा की जरूरत है।
- सर्वविदित है कि आम नागरिक की कमाई के जरिये आगरा में घटे हैं, नये कारखाने यहां खुल नहीं रहे है, सरकारी नौकरियों के अवसर भी सीमित ही हैं। जी एस टी की मार गरीब से गरीब पर भी बढी है।ट्रेडिंग कम्युनिटी तो सरकारी सेवाओं के वेतन भोगियों से होने वाली आमदनी से फलफूल रही है किन्तु महानगर के आर्थिक की विकास दर पर इसका खास असर नहीं पड़ा है। जीडीपी और सेंसेक्स में आते रहे उछालों का आगरा के अर्थतंत्र पर असर क्यों नहीं पडता इसकी जांच पडताल जनप्रतिनिधियों को जरूर करवानी चाहिये।
- आगरा में निजी क्षेत्र का शिक्षा में बहुत बड़ा निवेश है, सरकारी निवेश के लगातार संकुचन से अब निजी प्रबंधन के शिक्षण संस्थानों की संख्या ही बढनी है। डा.भीम राव अम्बेडकर वि वि के एफीलेशन सेक्शन में बद से बदतर स्थितियां विद्यमान है। नयी संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन /एफीलिएशन ,इंस्पेक्शन तथा नवीनीकरण का कार्य प्रश्न चिन्हों से भरपूर है। वि वि की सीनेट का चुनाव न होने और कार्य परिषद का गठन वि वि की नियमावली अनुसार न होने से दुश्वारियां लगातार बढ़ी हैं। एफीलिएशन सेक्शन के संबंध में तो बैकलॉक क्लियर करने के लिए कैंप तक आयोजित करना सामायिक जरूरत लगती है।
- आगरा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का शहर है, प्रभावी एयरपोर्ट और राष्ट्रिए एवं शैड्यूल अंतराष्ट्रीए उड़ान का अवाभ है,जबकि शहर कि इकॉनमी पर्यटन उधयोग पर निर्भर है।
- शहर कि कई दशकों कि मांग -बैराज, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम और हाईकोर्ट पर शांति है, अभी तक कोई प्रगति नहीं है।
- शहर में बंदरों का आतंक है।
आज कि प्रेस वार्ता में डॉ बृजेश चंद्रा, डॉ मुनीश्वर गुप्ता , डॉ संजय चतुर्वेदी , राजीव सक्सेना, डॉ मधु भारद्वाज, अनिल शर्मा उपस्थित थे।