आगरालीक्स…आगरा में बोले देवकीनंदन ठाकुर—ऐसी विचारधारा को समाप्त कर देना चाहिए जो हमारे देश और धर्म को नष्ट करे…कथा में तीसरे दिन किया ध्रुव चरित्र का वर्णन
जो विचारधारा हमारे देश और धर्म को नष्ट कर दे, उस विचारधारा को समाप्त कर देना चाहिए। आग लगने पर पानी की व्यवस्था करोगे तो जल जाओगे। इसलिए आग लगने से पहले ही पानी की व्यवस्था करना ही उचित। यदि हम सावधान नहीं हुए तो 15-20 वर्ष बाज हमारी भी वही दुर्दशा होगी, जो आज बंगाल में हिन्दुओं की हो रही है। ब्रह्मा जी द्वारा सनद पुत्रों के जन्म, ध्रुव चरित्र के वर्णन के साथ आज आचार्य देवकी नन्दन ठाकुर ने बाह स्थित बजरंग श्रम में आयोजिक श्रीमद्भागवत कथा में यह वक्तव्य दिया।
कहा कि मन ने जिसको मान लिया वहीं सुख और दुख है। इसलिए मनुष्य के लिए दुख का कारण मन ही है। मन के बंधन को मन से काटा जा सकता है। जब तक मन संस्कार में लगा रहेगा, दुखी रहेगा। मन को भगवान के चरणों में लगाने से ही कष्ट मिट सकते हैं। हृदय लोहा और भगवान की कथा चुम्बक है। बड़ों का आदर करने से मान घटता नहीं बड़ता है। पिता से ज्यादा कल्याण कोई किताब नहीं कर सकती। वही संस्कारी हैं जो बड़ों का आदर करते हैं। इसलिए पहले अभिभावक अपने आदरणीयों को आदर करेंगे तो बच्चे भी उनका आदर करेंगे। बिना सिर झुए सिर्फ नमस्ते होती है आजकल। फटी जीन्स पहने वाले पापा बच्चों को कैसा संस्कार देंगे। माताए फैशन में लगी है। घर में बेटी और बहू आ जाए तो घर में कैसे रहना है इसका प्रशिक्षण गांव के लोगों से प्रशिक्षण लें।
शहर की मानसिकता बिगड़ जा रही है। पढ़ना लिखना जरूरी है लेकिन संस्कारवान रहना भी जरूरी है। जो घर से मिलते हैं। आज के समय में यह चिंता का विषय है कि हिंदू समाज अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के प्रति उदासीन हो गया है। आज मानव का मन भगवान की भक्ति में लगने के बजाय भौतिक सुख-सुविधाओं और संसार की दौड़-धूप में फंसा हुआ है। इस अवसर पर मुख्य रूप से अरुण चतुर्वेदी, पवन चतुर्वेदी, दीपक शर्मा, कृपाशंकर दीक्षित, अनुपम मिश्रा, वीरेन्द्र चतुर्वेदी, हिमांशु, अमृतांश, ओम, सूर्यांश अवधेष, राजेश, नरेश, हरिओम, पंकज, पवन, राघव आदि उपस्थित थे।
धर्म सिर्फ सनातन बाकी सब पंथ
आचार्य देवकी नन्दन ठाकुर ने कहा कि जो व्यक्ति द्वारा संचालित हो वह पंथहै। और ईश्वर द्वारा संचालित ही केवर धर्न है जो सिर्फ सनातन है। इसलिए विश्व में धर्म सिर्फ सनातन है बाकी सब पंथ हैं। आचार्य ने श्रीमद्भागवत कथा में 28 प्रकार के नर्कों का वर्णन करते हुए कहा कि पराई सम्पदा, स्त्री पर हक जमाना, बच्चों का हरण करना, अहंकार, द्रोह, दयाहीनता, मात्र पेट भरने के लिए जीव हत्या कर मांसाहार करना जैसे पाप ही नर्क का रास्ता बनते हैं। अंग्रेजी कहावत का वर्णन करते हुए कहा कि धन जाए तो कुछ नहीं जाता, स्वास्थ्य जाए तो कुछ गया र चरित्र गया तो समझे सब कुछ गया। इसलिए आज के अभिभावकों को चाहिए संतान को चरित्रवान बनाएं।
कुछ हिन्दू ही नहीं चाहते कि सनातन बोर्ड का मामला आगे बढ़े
कितना कष्ट होता है जब हमने भगवान की पूजा पद्धति को भी सुरक्षित न रख पाएं। आज कुछ हिन्दू ही हैं जो नहीं चाहते कि सनातन बोर्ड का मामला आगे बढ़े। वह व्यवधान डाल रहे हैं। एक बार सनातन बोर्ड बन गया तो भारत के सभी मंदिर सरकार से आजाद हो जाएंगे। हमारी पुरातन परम्परा बची रहेंगी। गुरुकुल तैयार हो जाएंगे, गौशाला बन जाएंगी। कृष्ण जन्म भूमि और सम्भल का मामला हमें हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में नहीं लड़ना पड़ेगा। जहां वैदिन प्रमाण मिलेंगे उसका निर्णय हम लेंगे। परन्तु कुछ लोग हमें भी रोकना चाहते हैं। श्रद्धालुओं से प्रशन किया कि हमें आगे बढ़ना चाहिए तो कौन-कौन साथ है। इस पर सभी श्रद्धालुओं ने हाथ ऊपर हर सनातन बोर्ड के लिए सहमति प्रदान की।
आगरा के भक्त प्रेमनिधि को रात में छोड़ना पड़ा था शाहजहां को
मुगलो ने कोई कमी नहीं छोड़ी हिन्दुओं पर अत्याचार करने में। मुगलकाल में प्रेम निधि आगरा के ही भक्त थे। वह आगरा में ही रहे यहां के लोगों में सनातन को बचाए रखन के लिए। परन्तु हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसाद के अपराध में शाहजहां ने उन्हें बंदी बना लिया। प्रेमनिधि जेल में रात भर रोते रहे कि आज वह अपने आराध्य को जल नहीं पिला पाए। भक्त का रोना भगवान से देका नहीं गया। भगवान ने प्रकाश रूप में उपस्थित होकर शाहजहां को पलंग तोड़ दिया और प्रेमनिधि को छोड़ने का आदेश दिया। यह सत्य घटना है कि शाहजहां ने उन्हें रात में बंदीग्रह से छोड़ा।