Agra News: Doctors reactions on Dr. Archana Sharma suicide, know the rules…#agranews
आगरालीक्स…आगरा के डॉक्टरों में गम और गुस्सा, हॉस्पिटल में मरीज की मौत पर कार्रवाई का क्या है नियम, महिला डॉक्टर की खुदकुशी पर झलका आगरा के प्रतिष्ठित डॉक्टरों का दर्द
राजस्थान के दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या के बाद डॉक्टर व्यवस्था के खिलाफ भडक गए हैं। देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं आईएमए आगरा ने 31 मार्च 2022 को अस्पतालो और क्लीनिको में 24 घंटे संपूर्ण बंद का ऐलान कर दिया है। सबसे ज्यादा नाराजगी सिस्टम के खिलाफ है। डॉक्टरों का कहना है कि आगरा में भी डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं हो रही हैं, जिसकी वजह से वे खौफजदा होकर काम करते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि किसी भी चिकित्सक के खिलाफ कोई भी केस तब तक दर्ज नहीं किया जा सकता जब तक मेडिकल बोर्ड उस केस की जांच नहीं कर लेता। जानिए क्या बोले आगरा के डॉक्टर…
आईएमए आगरा के अध्यक्ष डॉ. राजीव उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार किसी भी डॉक्टर पर कोई भी मुकदमा तब तक दर्ज नहीं किया जा सकता जब तक मेडिकल बोर्ड उस प्रकरण की पूरी जांच नहीं कर लेता। बावजूद इसके बहुत बार देखा गया है कि पुलिस तानाशाही रवैया अपनाती है और अपने स्तर से मुकदमा दर्ज कर लेती है। आगरा में डॉक्टरोें की मांग है कि प्रशासन इस बात को संज्ञान में ले ऐसा किसी भी चिकित्सक के साथ न हो।
फॉग्सी कीं पूर्व अध्यक्ष डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने कहा कि केवल चिकित्सक समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि हम में से हर एक को समझना होगा कोई भी डॉक्टर कभी नहीं चाहेगा कि उसके मरीज को नुकसान हो। लेकिन अगर यही माहौल रहा तो एक डॉक्टर से हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं जानें बचाने की जब वह खुद को ही असुरक्षित महसूस कर रहा हो।
डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि दोषियों को पकडा जाना चाहिए और उनके खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई होनी चाहिए।
डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए इमीडिएट शॉर्ट टर्म और लांग टर्म स्ट्रेटजीज बनानी होंगी।
डॉ. अंजना अरोडा ने कहा कि पुलिस और मीडिया को न्याय संगत रहना होगा। क्योंकि किसी भी मामले की मेडिकल बोर्ड जांच तक निष्कर्ष निकाल लेना सही नहीं है। किसी भी गतिविधि में चिकित्सकों को असमाजिक तत्व बना देना उनके लिए बहुत पीडादायक होता है।
एओजीएस की अध्यक्ष डॉ. आरती मनोज ने कहा कि हम सभी काम बंद करने के लिए मजबूर हैं जब तक हमें सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती और पीडिता को न्याय नहीं मिलता।
डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि एक डॉक्टर मरीज को बचाने की कोशिश करता है, लेकिन जान बचाना भगवान के हाथ में है। डॉक्टर अपने हर मरीज के लिए अपना 100 प्रतिशत करता है, इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए।
डॉ. राजीव क्रषक ने कहा कि कानून का ज्ञान हम सभी लोगों को होना चाहिए और इसकी समझ भी होनी चाहिए।
डॉ. रजनीश ने कहा कि अगर जरूरत पडी तो चिकित्सक सडकों पर उतरकर भी आंदोलन करेंगे।
अध्यक्ष निर्वाचित डॉ. ओपी यादव ने कहा कि सभी चिकित्सकों को एक होकर अपनी लडाई लडनी होगी ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनराव्रत्ति न हो।
डॉ. संजय चतुर्वेदी ने सदस्यों से कहा कि आईएमए की ताकत को पहचानें। संगठन पर भरोसा रखें और अपनी परेशानियों को संगठन में रखें।
डॉ. अंकुर बंसल ने कहा कि डॉक्टर मुश्किल परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। कई बार कुछ मरीज दांव—पेंच से जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। हमें सतर्क रहना होगा।
डॉ. मोहन भटनागर ने ऐसी घटनाओं को शर्मनाक बताया जिसने एक चिकित्सक को खुदकुशी करने पर मजबूर कर दिया।
डॉ. शरद गुप्ता ने आईएमए में एक लीगल सेल बनाने की बात उठाई। कहा कि हमें सभी नियम और कायदे अच्छे से समझने होंगे।
डॉ. रवि पचौरी ने कहा कि हमें अपनी लडाई एक होकर लडनी होगी। डीएम और एसएसपी को भी मैसेज भेजकर बताएं कि हमारे साथ क्या हो रहा है।
डॉ. पवन गुप्ता ने कहा कि जो नियम सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाया जा चुका है उसकी प्रति सभी थानों में पहुंचनी चाहिए ताकि अगर जानकारी नहीं है तो हो जाए।
एओजीएस कीं सचिव डॉ. सविता त्यागी ने कहा कि चिकित्सकों के खिलाफ अपराध हो रहे हैं। ऐसे लोग जो सिपर्फ समाज का भला करने के लिए हैं। जिंदगियां बचाने के लिए हैं। लोगों को समझना होगा कि कोई डॉक्टर सोच भी नहीं सकता उसके मरीज की जान को खतरा हो।
फॉग्सी यंग टेलेंट कमेटी कीं चेयरपर्सन डॉ. नीहारिका मल्होत्रा ने कहा कि इससे ज्यादा दुख की बात क्या हो सकती है कि लोगों की भलाई के लिए काम करने वाली एक युवा डॉक्टर को अपनी जान गंवानी पडे। जिन हालातों से डॉक्टर गुजर रहे हैं उनमें वे नहीं चाहते कि अब आगे उनके बच्चे इस पेशे को अपनाएं।
डॉ. मुकेश भारद्वाज, डॉ. अरविंद यादव, डॉ. भूपेंद्र, डॉ. सलिल भारद्वाज, डॉ. अनूप दीक्षित, डॉ. पंकज नगायच, डॉ. एसके कालरा, डॉ. राकेश भाटिया, डॉ. सीमा सिंह, डॉ. निधि दीक्षित, डॉ. अर्चना सिंघल, डॉ. आरके गुप्ता, डॉ. सचिन मल्होत्रा, डॉ. भारती, डॉ. अंजू शर्मा, डॉ. संगीता चतुर्वेदी, डॉ. रश्मि खंडेलवाल, डॉ. संध्या जैन, डॉ. अनुपम गुप्ता, डॉ. अरूण जैन, डॉ. सुरेंद्र पाठक, डॉ. मनोज शर्मा, डॉ. संजय सक्सेना समेत सभी चिकित्सकों ने डॉ. अर्चना शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके लिए न्याय की मांग की। ।
मैंने किसी को नहीं मारा, मरने के बाद शायद बेगुनाही साबित होगी
डॉ. अर्चना शर्मा की सुसाइड के बाद सामने आई उनकी आखिरी चिठ्ठी ने आगरा में डॉक्टरों की आंखें नम कर दी हैं। चिठ्ठी में उन्होने लिखा है कि “मैंने कोई गलती नहीं की है, किसी को नहीं मारा, पीपीएच एक कॉम्प्लिकेशन है, इसके लिए डॉक्टरो को प्रताड़ित करना बंद करो। मरने के बाद शायद बेगुनाही साबित होगी। सुसाइड नोट के अंत में उन्होंने लिखा ‘प्लीज मेरे बच्चे को मां की कमी महसूस नहीं होने देना’। डॉक्टरो ने कहा कि यह तकलीफ देह है। चिट्ठी में एक मां की चिंता और बेकसूर होने का दर्द सब कुछ है।