आगरालीक्स….आगरा की शारदा यूनिवर्सिटी में मनाया किसान दिवस. कहा—भारत की अर्थव्यवस्था की रीड है किसान…
शारदा यूनिवर्सिटी आगरा में आज किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की जयंती किसान दिवस को बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमवीर सिंह, विशिष्ट अतिथि गांव किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केपी सिंह और आनंद स्कूल आफ इंजीनियरिंग के डीन प्रोफेसर (डॉ) स्वामीनाथन ने मां सरस्वती के समक्ष दीप जलाकर किया। इंजीनियरिंग संकाय के डीन ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का अभिनंदन करते हुए सभी को किसान दिवस की बधाई दी और कहा यह देश की कृषि और आर्थिक सफलता में किसानों के योगदान का सम्मान करने का एक सार्थक तरीका है। किसान दिवस किसानों की कड़ी मेहनत और वरदान को स्वीकार करने के लिए समर्पित है। जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीड है। कृषि और शिक्षा के बीच गहरे संबंध पर जोर दिया।
यह देखते हुए की कैसे शारदा विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार प्रदान करने में भूमिका निभाते हैं। जो कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि महोदय ने बताया किसानों के बीच प्राकृतिक खेती का प्रचलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। क्योंकि इस खेती में देश के किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है। देखा जाए तो पर्यावरण की दृष्टि से भी प्राकृतिक खेती करना काफी लाभदायक है। इसमें किसी भी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है दरअसल, प्राकृतिक खेती में सबसे अधिक बायोमास मल्चिंग, गाय के गोबर,मूत्र के इस्तेमाल पर अधिक जोर दिया जाता है। मुख्य अतिथि ने सभी को बधाई देते हुए कहा केमिकल और रासायनिक उर्वरकों ने खेती को बर्बाद कर दिया है। प्राकृतिक खेती करने से भूमि के जलस्तर में वृद्धि होती है। इससे मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।
खाद बनाने में कचरे का उपयोग करने से बीमारियों में कमी आती है। फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की तकनीक जैविक खेती से भिन्न है। क्योंकि जैविक खेती में खाद एवं जैविक कीटनाशकों का उपयोग बाजार से भी लाकर किया जाता है। जबकि प्राकृतिक खेती में किसी भी प्रकार के जैविक निवेश का उपयोग बाहर से नहीं किया जाता है। इसमें उत्पादन को प्राकृतिक की शक्ति माना जाता है तथा कृषि कर्षण क्रियाएं भी नहीं की जाती हैं। कार्यक्रम के अंत में किसान भाइयों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आनंद स्कूल आफ इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष,शिक्षकगण,विद्यार्थीगण एवं स्टाफ उपस्थिति रहे। इस उपलब्धि पर शारदा यूनिवर्सिटी आगरा की कुलपति प्रोफेसर (डॉ) जयंती रंजन ने टीम के सदस्यों को बधाई दी। कुलाधिपति पीके गुप्ता और उप कुलाधिपति वाई के गुप्ता ने टीम के समर्पण और सफलता की सराहना की उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में किसानों के अमूल योगदान को स्वीकार किया और टिकाऊ कृषि प्रथाओं का समर्थन करने और किसानों को सशक्त बनाने वाली अनुसंधान और पहल को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।