आगरालीक्स…आगरा में जुटे देश दुनिया के साहित्य प्रेमी. हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने को हुआ मंथन. वंदे गुरु साहित्य समागम के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बही हास्य, प्रेम और ओज की त्रिवेणी
कोई भी मानव अपनी मातृभाषा के बिना प्रगति नहीं कर सकता, साहित्य ही हमें हमारे भूत, भविष्य और वर्तमान से जोड़ता है। हमारी संस्कृति का संरक्षण भी साहित्य सृजन से ही संभव है, कुछ ऐसे ही विचार शनिवार को विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन के सभागार में आयोजित श्री बाँके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा सामुदायिक रेडियो डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एवं इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन संस्कृति के सहयोग से वंदे गुरु साहित्य समागम 2024 में वक्ताओं के द्वारा सामने आये।
समागम का शुभारम्भ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं कुलपति डाॅ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रो. आशु रानी, मुख्य अतिथि इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन संस्कृति चेयरमैन पूरन डावर, अप्सा अध्यक्ष डाॅ. सुशील गुप्ता, महंत गौरव गिरी, अभिषेक पाराशर, बीएसए आगरा जीतेन्द्र गौड़, न्यूरोफिजिशियन डाॅ. नरेश शर्मा, एफएएफएम अध्यक्ष कुलदीप कोहली, श्राॅफ ग्रुप के चेयरमैन अनिल मगन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर कुलपति डाॅ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रो. आशु रानी ने कहा कि इस आयोजन से स्पष्ट हो रहा है कि आज का युवा साहित्य में रूचि ले रहा है। साहित्य ही हमें हमारे भूत, भविष्य और वर्तमान से जोड़ता है। हमारी संस्कृति का संरक्षण भी साहित्य सृजन से ही संभव है इस प्रकार के आयोजन इस दिशा में मील का पत्थर साबित होते हैं वहीं पूरन डावर ने कहा कि हिंदी न सिर्फ हमारी मातृ भाषा है बल्कि यह अभिव्यक्ति का वह माध्यम है जोकि हमें सहजता से सटीक शब्दों में अपने मन की बात रखने हुए हमें हमारी जड़ों से जोड़ने का काम करता है। वहीं डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि हिंदी हमारी मातृ भाषा है हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा मिले। स्वागत उद्भोधन श्री बाँके बिहारी एजुकेशनल सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन शर्मा ने किया वहीं अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन नकुल सारस्वत किया।
राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बही गीत ग़ज़ल और हास्य व्यंग्य की त्रिवेणी
वंदे गुरु साहित्य समागम में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का जादू भी श्रोताओं के सिर चढ़कर बोला। हास्य कवि पवन आगरी के संयोजन और संचालन में देश के सुप्रसिद्ध कवियों ने समां बांध दिया। मुज्जफर नगर से पधारी प्रीति अग्रवाल ने अपनी ओजस्वी वाणी से लोगों का रक्त संचार बढ़ा दिया। राणा के वंशज सोए हैं उन्हें जगाने निकली हूं, मैं चूड़ी वाले हाथों से तलवार चलाने निकली हूं। संचालक पवन आगरी ने भी सियासत पर तीखा तंज किया कि भैया यह स्वतंत्र भारत है, यहां खाने की सबमें आदत है। मेरठ से पधारे हास्य कवि प्रतीक गुप्ता और लाफ्टर फेम शरीफ भारती ने प्रेक्षागृह में ठहाकों का तूफान ला दिया। सुप्रसिद्ध गीतकार शशांक नीरज और कवयित्री निभा चौधरी ने अपने गीतों से समां बांध दिया।
गुरुजनों को गुरु श्रेष्ठ सम्मान से किया गया अलंकृत
समागम में गुरुजनों को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए ‘गुरु श्रेष्ठ सम्मान’ से अलंकृत किया गया। जिनमें तीन श्रेणियों में उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा में सम्मान किया गया।
उच्च शिक्षा में इनको मिला सम्मान
प्रो. अरूण कुमार, डाॅ. कैलाश सारस्वत, डाॅ. अनिल कुमार दीक्षित, डाॅ. अरूण शर्मा, डाॅ. वीरेन्द्र सिंह चौहान, डाॅ. नीतू चौहान, डाॅ. राजेश कुशवाहा, वन्दना चौहान, कैप्टन प्रो.रीता निगम, डाॅ. संजीव कुमार, डाॅ. बृजेश बघेल, डाॅ. सतीश यादव, वरूण सिकरवार,
माध्यमिक शिक्षा में इनको किया गया सम्मानित
डाॅ. सुशील गुप्ता, डाॅ. तरूण शर्मा, प्रकाश चंद गुप्ता, किरण यादव, रीनेश मित्तल, शिव ज्योति, मुकेश शर्मा, डाॅ. मौ. ज़मीर, डाॅ. नरेन्द्र कुमार सिंह, डाॅ. अनिल कुमार जैन, डाॅ. अनिल वशिष्ठ, कुमुद ग्रोवर, अंकिता जोशी, यादवेन्द्र प्रताप सिंह, डाॅ. भोज कुमार शर्मा, अजय शर्मा, विकास भारद्वाज, डाॅ. सोमदेव सारस्वत, मंजू रानी भारती, लेफ्टनेंट स्वामी प्यारी भारद्वाज, विदुषी सिंह, डाॅ. सत्यप्रकाश यादव, डाॅ. पैनी जैन कपूर,
बेसिक शिक्षा में इनको किया गया सम्मानित
रीना सिंह, भीषमपाल सिंह, बृजेश दीक्षित, रामेश्वर सिंह चौहान, संध्या कुलश्रेष्ठ, सोनिया मल्होत्रा, गीता सिंह, बबिता यादव, यतेंद्र तिवारी, डाॅ. मनोज परिहार, समृद्धि पाठक, सुरेश खिरवार, के.के. इंदौलिया, डाॅ. मनोज वाष्णेय, शिवराज सिंह सिकरवार, राजेन्द्र सिंह राठौर, बलविंदर सिंह गिल।
इस मौके पर डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रो. लवकुश मिश्रा, बीड़ी शुक्ला, सामुदायिक रेडियो स्टेशन की पीआरओ पूजा सक्सेना, इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन संस्कृति के अजय शर्मा, ब्रजेश शर्मा, डॉ. राम नरेश शर्मा, अविनाश वर्मा, गजेंद्र सिंह, संजय पुंडीर, सुशील सारस्वत, पंकज गुप्ता, विकास कुमार सिंह, सुषुमलता सारस्वत, उमा शर्मा, मीना सिंह, डॉ. ममता श्रीवास्तव संजीव सारस्वत, लंकेश दीपक सारस्वत, संतोष गहलोत, गब्बर राजपू,दिव्या मलिक आदि विशेष रूप से मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन रीनेश मित्तल ने किया।