Agra News: In skill training program in Agra, women were made aware about self-reliance along with self-protection…#agranews
आगरालीक्स…महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता के साथ आत्मसुरक्षा भी जरूरी. दो दिवसीय स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम के पहले दिन आगरा की शक्ति दीदियों को किया जागरूक
आगरा में महिलाओं की स्वावलंबन पूर्व जीवन शैली हो और आर्थिक रूप से सबल हो तो वे समाज और व्यवस्था संचालन में अधिक सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर सकती हैं।यह मानना है पुलिस अधिकारी एसीपी डा सुकन्या शर्मा इंचार्ज मिशन शक्ति का। उन्होंने आगरा में मिशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओं की शिक्षा जागरूकता पर बल देने का हर संभव प्रयास हुआ है। एसीपी पुलिस लाइन आगरा के शहीद प्रशांत मेमोरियल हॉल में स्किल एंड अर्न (Skills and earn ) के दो दिन के कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि ‘मिशन शक्ति’ का एक व्यापक उद्देश्य है, इसमें स्वैच्छिक संगठनों और सकारात्मक सोच रखने वालों की भूमिका भी अपेक्षित है।
एसीपी डा शर्मा ने दिल्ली से आये निर्यात विशेषज्ञों की टीम का प्रयास एक सकारात्मक पहल बताया।उन्होंने उम्मीद जतायी कि इसके सकारात्मक परिणाम आयेंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं में आर्थिक सशक्तकरण और आत्मनिर्भरता का भाव पुलिस के तमाम मौलिक लक्ष्यों के अनुरूप है। एसीपी ने कहा कि पुलिस की जो भी भूमिका है ,उनमें महिलाओं में आत्विश्वास का भाव जागृत करना है, जिसे कि आर्थिक आत्म निर्भरता से और बल मिलता है और वे कि वे मौजूदा सामाजिक परिवेश में अपने समक्ष आती रहने वाली चुनौतियों का सबलता के साथ मुकाबला करने में अधिक सक्षम पाती हैं। कार्यक्रम में मौजूद दिल्ली से निर्यात विशेषज्ञ ने बताया कि निर्यात परक कार्यक्रम की सहभागी बन महिलाएं कैसे आत्मनिर्भर बन सकती है। इन विशेषज्ञ को बुनाई क्षेत्र में अपनी रही सक्रियता का अच्छा अनुभव है। दिल्ली एनसीआर, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में निर्यात परक बुनाई संबधी गतिविधियां काफी समय से संचालित हैं और 2000 महिला इनसे संबंधित हैं। हाथ की बुनाई के उत्पादों के लिए साल भर मांग रहती और फलस्वरूप इनसे महिलाएं जुड़ कर अपनी और परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार को भरपूर योगदान दे सकती हैं।
विशेषज्ञ टीम की प्रमुख सदस्य सुश्री कांति ने बताया कि स्वत: सहायता समूह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यक्रम है,जिसके माध्यम से आर्थिक क्षेत्र सबल बना जा सकता है।जहां तक नये स्वयं सहायता ग्रुप शु1रू करने या मौजूदा सक्रिय ग्रुपों से जुडकर बुनाई उत्पाद कार्यक्रम में जुडने का सवाल है,इसके लिये व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।नये सदस्य और ग्रुपों के लिये धागा/ऊन सहित आधारभूत जरूरतें निर्यात परक कार्यक्रम से जुड़ी कंपनी उपलब्ध करवाती हैं।और वही सदस्यों से बुनवाकर वापस ले लेती हैं।चूंकि निर्यात के लिए सालभर उत्पाद की जरूरतें रहती हैं ,इस लिये जो भी स्वायत्त सहायता ग्रुप से जुडता है वर्षभर आये करता रह सकता है। एक जानकारी में सुश्री कांती ने बताया कि जो महिलाएं पहली बार कार्यक्रम से जुडती है और पिछला अनुभव उन्हे नहीं होता उन्हे प्रतिशिक्षण दिलवाने का कार्यक्रम भी स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से क्रियान्वित करवाया जाता है। आर्थिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास वाले कार्यक्रम की इस पहली मीटिंग में शक्ति दीदी (बीट ऑफिसर) को संवाद कर जानकारी दी गयी। और शक्ति दीदी को अपने एरिया में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के अलावा उन अनेक महिलाओं,जो कि अपने अपने तरीके से आर्थिक आत्मनिर्भर होने के लिये अभिलाशी तो हैं किन्तु दिशा हीनता की स्थिति में रही हैं, उनसे संपर्क कर स्किल ट्रेनिंग के लिए प्रेरित करेंगी ।
सिविल सोसायटी के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा है कि आगरा में रोजगार पाने की व्यापक संभावनाएं हैं,खास कर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से निर्यात परक उत्पादन के कार्यक्रमों से जुड कर।अब आवश्यकता है कि उपलब्ध जनशक्ति की दक्षता का मूल्यांकन हो और जहां भी संभव हो उसे अवसर प्रदान किया जाये। शासन के द्वारा स्वयं सहायता समूहों और महिलाओं के आर्थिक रूप से सशक्तिकरण योजनाओं और कार्यक्रमों चलाये जा रहे हैं। आर्थिक सबलता के लिये डूडा सर्वथा उपयुक्त माध्यम है।अगर श्रम और प्रतिबद्धता की भावना है तो सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिये सक्रिय हुआ जा सकता है।दिल्ली से आयी निर्यात पारक कार्यक्रमों की जानकारी देने वाली विशेषज्ञ के प्रयास का उपयोग बताया और उम्मीद जतायी कि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन का क्रम आगे भी जारी रहेगा।
सेल्फ डिफेंस-
आत्मनिर्भरता के साथ आत्मसुरक्षा भी जरूरी है। मार्शल आर्ट (टाइकोंडो) की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी, कोच और अंतराष्ट्रीय जज डॉ किरण कश्यप ने अपने अनुभव साजा किए। उन्होने आत्मसुरक्षा के बारे में बताया और शक्ति दीदयों के साथ महिलयों के समूह को प्रटिकल ट्रेनिंग का प्लान बनाया। आत्मसुरक्षा का मूल विषम स्थिति में अपने आप को सुरक्षित कर अटैक करने वाले से चिल्लाते हुए दूर जाना है। ट्रेनिंग में अटैक कर के शरीर के किस सॉफ्ट पार्ट पर वार करना है, बताया जाएगा। आत्मसुरक्षा तकनीक है, इस का इस्तेमाल सिर्फ विषम स्थिति में करना चाहिए, इसके लिए बैड टच और गुड टच को भी समझाना जरूरी है। डॉ कश्यप का मानना है, सब को व्यायाम और कुछ न कुछ खेल खेलना चाहिए, ये ज़िंदगी जीना सीखते हैं। पुलिस के बीट आफीसरों (शक्ति दीदी) के पास मिशन के लक्ष्यों और महिलाओं से संबंधित पुलिस में मौजूदा प्रावधानों की पूरी जानकारी होगी,जिन्हें कि अपनी अपनी वीटों के तहत सक्रिय महिलाओं ग्रुपों के साथ साझा करते रहेंगे। आज के प्रोग्राम में एसीपी डॉ सुकन्या शर्मा, डॉ किरण कश्यप, अनिल शर्मा, सुश्री असमा सलीमी, असलम सलीमी, प्रदीप शर्मा उपस्थित रहे।