Agra News: International conference on mathematical science and applications started in the university…#agranews
आगरालीक्स…मैथ में 100 में से 100 नंबर लाने वाले स्मार्ट समझे जाते हैं. शून्य ही नहीं वैदिक गणित ने अंकों के साथ अनंत तक की खोज की है. विवि में गणितीय विज्ञान और एप्लिकेशन पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस शुरू
आगरा के डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के गणित विभाग द्वारा खंदारी कैम्पस स्थित जेपी सभागार में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस आज से शुरू हो गई है. गणितीय विज्ञान और एप्लिकेशन विषय पर हो रही कांफ्रेंस के पहले दिन उद्घाटन आयोजन संरक्षक और विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो आशुरानी, आयोजन अध्यक्ष व पूर्व कुलपति पूर्वांचल विश्वविद्यालय प्रो सुंदर लाल और मुख्य वक्ता व कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो बीएस राजपूत ने की।
कुलपति का कहना था कि गणित विषय को लेकर सभी के मन में एक विशेष आकर्षण हैं। हमारे बचपन में भी कक्षा में 100 में से 100 अंक लाने वाले या गणित विषय में होनहार विद्यार्थी को सबसे ज्यादा स्मार्ट समझा जाता था। जबकि बाकी विद्यार्थियों को गणित विषय बेहद मुश्किल लगता था। गणित को लेकर एक कहावत भी है की मोरों में शिखा धारी, नागों में माला धारीश्रेष्ठ होते हैं, वैसे ही वेदों और विचारों में भी गणित को ही सर्वश्रेष्ठ विषय माना गया है। देश में रामानुजन जैसे तमाम गणितज्ञ हुए जिन्होंने इसे उत्कृष्ट तक पहुंचाया हाल ही में भारतवंशी मंजुल भार्गव ने संस्कृत के माध्यम से गणितीय गणना करके देश की ख्याति को शीर्ष पर पहुंचाया है। गणित को सिर्फ एक ही विषय तक सीमित करके नहीं रखा जा सकता। इसके माध्यम से अन्य विषयों को भी स्थापित करने में बेहद मदद मिली है। चाहे आईटी का क्षेत्र हो या फिर सामाजिक विज्ञान, डाटा साइंस से लेकर किसी की भी थ्योरी को सिद्ध करने तक का कार्य गणित के द्वारा ही संभव है। उन्होंने कहा कि उम्मीद करूंगी कि हमारे यहां के गणित के शिक्षक अन्य पाठ्यक्रमों को गणित से जोड़ते हुए ऐसी डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत करें, जिससे हरे पाठ्यक्रम विद्यार्थी गणितीय सोच और नवाचार को अपने जीवन में स्थापित कर सकें।
मुख्य वक्ता प्रो बीएस राजपूत का कहना था की गणित सिर्फ अंको को जोड़ना ही नहीं है हमारे वेदों और विचारों में इसका विस्तृत वर्णन है विश्व में कहा जाता है कि शून्य की खोज भारत में हुई है लेकिन वेदों को अगर देखें तो हमारे यहां शून्य ही नहीं, अंकों के साथ अनंत तक की खोज सदियों पहले वैदिक गणित के माध्यम से हो चुकी है। हमारे ऋषि मुनि अनंत परमात्मा की खोज के लिए भी गणित का ही सहारा लिया करते थे वह कहते थे की अनंत की खोज के लिए स्वयं को शून्य बनाना होगा इसका अर्थ है कि हमारे भारत में 0 से लेकर अनंत तक की खोज हो चुकी है जहां पर आधुनिक गणित अब तक नहीं पहुंच पाया है हमें तरक्की पाने के लिए वैदिक गणित की ओर लौटना होगा और हर क्षेत्र में जिस तरह पहले गणित का उपयोग होता था। उसी तरह वर्तमान में करके हम फिर से विश्व गुरु की पदवी तक पहुंच सकते हैं। आधुनिक गणित अपनी थ्योरी सेट करके कई बातों के उत्तर देने की कोशिश करता है लेकिन वह अब भी कई प्रश्न ऐसे हैं जिनके उत्तर सिर्फ और सिर्फ वैदिक गणित में उपलब्ध है उनके पास नहीं। गणित का अर्थ ही तर्क के माध्यम से खुद को स्थापित करना है।
प्रो सुंदर लाल का कहना था कि भारत में गणित का इतिहास तब से है जब से इंसान है, किसी भी सरंचना को स्पष्ट करने के लिए हम गणित का ही सहारा लेते हैं। हमारे विषयों ने अपने शोध के माध्यम से 35 वर्ष पहले अंकगणित को उच्च स्तर तक पहुंचाया था बाद में हम उसे उस स्तर तक नहीं ले जा पाए विदेश में उत्पन्न हुए आधुनिक गणित को ही आज सर्वोत्तम माना जाता है लेकिन वैदिक गणित कई अनकहे प्रश्नों का भी जवाब देता है। उन्होंने भारत में गणित की यात्रा पर कई महत्वपूर्ण जानकारी भी साझा की। प्रति कुलपति प्रो अजय तनेजा का कहना था कि गणित के दम पर ही अगली औद्योगिक क्रांति होगी। इसलिए खुद को भविष्य के हिसाब से तैयार करें।
आयोजन सचिव प्रो संजीव कुमार ने कांफ्रेंस के उद्देश्य व गणित के भविष्य मे भावी योगदान पर चर्चा की। बताया कि सेमिनार में अमेरिका, ट्यूनीशिया, नेपाल, नाइजीरिया समेत देशभर से 150 से अधिक प्रतिभागी शमिल हो रहे हैं। 22 से अधिक अवार्ड प्राप्त स्पीकर इसमें वक्तव्य देंगे। 26 मार्च को इसका समापन IBS संस्थान में होगा। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रो संजय चौधरी ने दिया।