आगरालीक्स…आगरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में बोले अतुल कृष्ण भारद्वाज-भागवत का श्रवण एवं आचरण बना देता है भक्त को स्वयं भागवत
भक्ति की शक्ति के वर्णन के साथ शनिवार को डिफेंस एस्टेट, फेस−1 स्थित श्रीराम पार्क में राजेंद्र प्रसाद गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित की गयी दिव्य श्रीमद् भागवत कथा का तृतीय दिवस संपन्न हुआ। कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने तीसरे दिवस की कथा में कपिल मनु, ध्रुव एवं सती चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया। मुख्य यजमान सुनील गोयल एवं श्वेता गोयल ने व्यास पूजन एवं आरती की।
कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान ज्ञान की महिमा के बारे में श्रद्धालु जनों को बताया कि भागवत कथा मनुष्य को भागवत बना देती है। श्रीमद् भागवत कथा में ही ऐसी शक्ति है, जो भटके हुए को रास्ता दिखाती है, बिगडे हुए को सुधार देती है और दुष्टों का उद्धार कर देती है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान है, ज्ञान कैसा होने चाहिए, यह बातें भगवान ने भागवत में बताई हैं। जब बुद्धि भगवान में लग जाए अथवा भगवान बुध्दि का वरण कर लें, तो समझ लें कि मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो गई है, क्योंकि यह बुद्धि ही है, जो मनुष्य के विचारों एवं आचार को अपने आदेश पर चलाती है और मन के आदेश को मानती है। यदि बुद्धि भगवान में लग गई तो फिर उसमें ऐसे विचार आयेंगे ही नहीं जिसमें किसी का अहित या नुकसान हो। जो भगवान के सामने रोते हैं, उसे संसार के सामने नहीं रोना पड़ता और भगवान अपने भक्तों के लिए दौड़े चले आते हैं।
उन्होंने कहा कि जिसे पूरी दुनिया में जाकर भी शांति नही मिलती, उसे भगवान की गोदी में आकर शान्ति मिल जाती है। उन्होने बताया कि भगवान ने अपने विराट स्वरूप का दर्शन केवल एक बार और एक ही को दिखाया है, वह भी महाभारत के युद्ध में अर्जुन को दिखाया है. इसके अलावा उन्होने किसी को भी अपना विराट स्वरूप के दर्शन नहीं दिए। कथा व्यास ने कहा कि भगवान के अपने धाम लौटने के साथ ही कलयुग प्रारम्भ हो गया और कलयुग ने अपने अत्याचार करने शुरू कर दिए। कलयुग ने बैल रूपी धर्म को मारा तो धर्म के तीन पैर टूट गए, लेकिन सत्य पर जो पैर था, वह नहीं टूटा और सत्य आज भी स्थापित है।
उन्होने कहा कि हमारे देश की संस्कृति का जो हाल है, उसके बिगड़ने का कारण दृष्टि, मन, मोबाईल, टीवी, फिल्म जैसे अनेक साधन सहज उपलब्ध हैं। कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि राजा परीक्षित ने शुकदेव से प्रश्न किया कि मृत्यु के समय व्यक्ति को क्या करना चाहिए। इस पर शुकदेव जी ने कहा कि जिसकी कामना न हो या जिसकी सभी कामनाएं हों, तो मृत्यु को मंगलमयी बनाने के लिए हर व्यक्ति को परमपिता परमात्मा का ही भजन करना चाहिए। इसके अलावा हिरण्याक्ष की कथा, कपिल भगवान माता देवभूमि का वर्णन किया। सांख्य योग के बारे में बताया। माता सती के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जो भगवान का अपमान करे वो अपना स्वजन ही क्यों न हो उसका परित्याग कर देना चाहिए। ध्रुव जी महाराज के पावन चरित्र को साझा करते हुए कहा कि जिस प्रकार कच्चे घड़े पर की गयी कारीगरी सदैव बनी रहती है, उसी तरह बाल्यावस्था से ही सनातन सेवा और भगवान भक्ति का बीज बच्चों में रोप देना चाहिए। कथा प्रसंग के बाद वृंदावन धाम के स्वामी प्रदीप कृष्ण ठाकुर द्वारा रासलीला की प्रस्तुति ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दीपक गोयल ने बताया कि रविवार को समुद्र मंथन, वामन अवतार, राम अवतार, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं नंदोत्सव कथा प्रसंग होंगे। कथा की व्यवस्थाएं पंकज बंसल, राजेश बंसल, राजीव, अंकित, तरुण, सोम मित्तल, तनु गोयल, रवि गोयल, आरती गोयल, मनमोहन गोयल, पवन गोयन, भगवान दास बंसल, विष्णु दयाल बंसल, कल्याण प्रसाद मंगल, राजेश मित्तल, पंकज बंसल आदि ने संभालीं।