आगरालीक्स…आगरा में आज निजी स्कूलों में बच्चों की तो छुट्टी रही लेकिन शिक्षक और स्टाफ काली पट्टी बांधकर पहुंचे. जानिए वो मामला जिसके लिए एकजुट हुए सभी स्कूल और क्या की गई मांग
आजमगढ़ की एक् घटना को लेकर आगरा के सभी निजी स्कूल, एकाध को छोड़कर में बच्चों की छुट्टी रही. स्कूल तो खोले गए लेकिन यहां टीचर्स और स्टाफ ही आए, वो भी हाथ में काली पट्टी बांधकर यानी विरोध जताने. दरअसल आजमगढ़ के चिल्ड्रन गल्र्स स्कूल की एक 11वीं की छात्रा ने कथित तौर पर स्कूल की छत से कूदकर जान दे दी. इस घटना ने हर किसी को हिला दिया. इस मामले में स्कूल मैनेजमेंट का आरोप है कि स्कूल में छात्रा के फोन लाने पर प्रधानाचार्य ने टोका तो उसने स्कूल की बिल्डिंग से कूदकर अपनी जान दे दी. छात्रा के अभिभावकों की शिकायत पर पुलिस ने बिना जांच के ही स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक को अरेस्ट कर लिया. वहीं अभिभावकों का कहना है कि स्कूल में कोई और घटना हुई है. उनकी बेटी कभी स्कूल मोबाइल लेकर आती ही नहीं थी. हालांकि इस मामले में जांच की जा रही है लेकिन आगरा सहित यूपी के आज सभी निजी स्कूलों आज निजी स्कूल एसोसिएशंस की ओर से विरोध जताया गया.
आगरा की स्कूल एसोसिएशन अप्सा का कहना है कि निस्संदेह आजमगढ़ के स्कूल में घटित घटना अत्यंत दुःखद है, जिसका हम सभी को खेद है. जिस परिवार ने अपने बच्चे को खोया है, उसके साथ हम सभी की सहानभूति है. लेकिन इसके लिए या इस प्रकार की अन्य घटनाओं हेतु जिम्मेदार कौन है, यह बहुत बड़ा सवाल है. पहले भी इसी प्रकार की कई घटनाएँ हुई हैं. उत्तर प्रदेश के समस्त निजी विद्यालय संगठन यह पुरजोर माँग करते हैं कि घटना की सत्यता की जाँच की जाए और यदि संबंधित व्यक्ति दोषी है तो अवश्य उसके खिलाफ कार्यवाही की जाए अन्यथा उसे तत्काल रिहा किया जाए. इस प्रकरण में उत्तरप्रदेश के सभी जनपदों के तकरीबन सभी निजी विद्यालयों के प्रिसिंपल एवं स्टाफ ने आज पठन-पाठन स्थगित कर सर्वप्रथम दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद अनुचित तरीके से बिना किसी जाँच-पड़ताल के संबंधित विद्यालय की प्रिसिंपल एवं शिक्षक को पुलिस हिरासत में लिए जाने का संज्ञान लेते हुए उन्होंने बाँह में काली पट्टी बाँधकर सह-सद्भाव एवं एकजुटता का प्रदर्शन किया.

विचार-विमर्श व सुझाव के माध्यम से हमारे संगठन के एक प्रतिनिधि मंडल ने कल इस मसले के हल हेतु शासन स्तर पर प्रयास किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें यह आश्वासन दिया गया कि शीघ्र ही स्कूलों के लिए एक गाइडलाइन जारी की जाएगी, जिसके माध्यम से स्कूलों को उन महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया जाएगा कि स्कूलों में अनुशासन एवं मूल्यबोध को लागू करने के क्रम में क्या-क्या करने की अनुमति रहेगी एवं क्या करने की मनाही रहेगी.
अप्सा का कहना है कि हमारा संगठन आपसे निवेदन करता है कि कृपया निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रदेश के स्कूलों को उचित दिशानिर्देश प्रदान करने का कष्ट करें ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो-
- यदि शिक्षक केवल एक बच्चे को डाँटने का अपना कर्तव्य निभा रहा है तो धारा 306 पर विचार न करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का संज्ञान लेने के लिए गृहविभाग और डीजीपी के दिशानिर्देशों की आवश्यकता है।
- ऐसे व्यक्तियों या मीडिया के खिलाफ पॉस्को अधिनियम के मामलों में कार्यवाही करने के लिए गृह और पुलिस महानिदेशक के दिशानिर्देश जारी करें, जो संस्थानों/स्कूलों के नाम या बच्चे के नाम का खुलासा करते हैं, जो पॉस्को अधिनियम में निषिद्ध है।
- गाइडलाइन में इसे भी सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी गिरफ्तारी तब तक नहीं की जाएगी, जब तक कि प्रिंसिपल या शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का विशिष्ट सबूत या व्यक्तिगत कारण न बताया जाए।
- कृपया दिशा निर्देश जारी करें कि कौन-कौन सी वस्तुएँ प्रदेश के विद्यालयों में लाना प्रतिबंधित होंगी?
- क्या विद्यार्थियों के बैगों की चैकिंग करना मानसिक प्रताड़ना मानी जाएगी?
- प्रतिबंधित वस्तुएँ स्कूल के बाहर से विद्यालय के अंदर लाने पर क्या अभिभावक उत्तरदायी नहीं होंगे ?
- विद्यार्थियों के बैग में यदि कोई आपत्तिजनक या प्रतिबंधित सामग्री पाई जाती है तो क्या विद्यालयों को ऐसे विद्यार्थियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का अधिकार होगा?
- विद्यालय के अंदर अनुशासन और पठन-पाठन से संबंधित मुद्दों पर छात्रों को डाँटना और अभिभावकों को सूचित करना क्या उनकी मानसिक प्रताड़ना होगी? इसमें अभिभावकों का क्या उत्तरदायित्व होगा?
- क्या विद्यालय के विरुद्ध भ्रामक FIR/शिकायत और पुलिस जाँच रिपोर्ट में गलत पाए जाने पर संबंधित पक्ष पर भी झूठी शिकायत का वाद दर्ज होगा?
- क्या विद्यालय के अंदर तोड़-फोड़ करने पर कड़ी कार्यवाही होगी?
- आजमगढ़ जैसे प्रकरण में यदि छात्रा के मोबाइल डिटेल्स की जाँच और सभी अन्य बाहरी लोगों, पहलुओं/साक्ष्यों पर जाँच होती तो पता चलता कि छात्रा ने आखिर क्यों आत्महत्या की थी? पूरी जाँच करने से पहले ही प्रधानाचार्य एवं अध्यापक को गिरफ्तार कर स्कूल की प्रतिष्ठा को धूमिल कर देना क्या न्यायोचित है?
- क्या स्ववित्तपोषित प्राइवेट स्कूल्स एवं वित्तपोषित व शासन नियंत्रित स्कूल्स हेतु अलग-अलग नियमों को प्रभावी करना न्यायसंगत है?
- क्या किसी भी विद्यालय द्वारा की गई सामान्य अनुशासनात्मक कार्यवाही पर अभिभावकों द्वारा तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करना, जरा-जरा सी बात पर एफआईआर करने की धमकी देना तथा वैधानिक कार्यवाही पूर्ण होने से पूर्व ही विद्यालय की छवि को सोशल मीडिया आदि पर धूमिल करना न्यायोचित है?
महोदय, हम आपसे उपरोक्त बिंदुओं पर यथाशीघ्र दिशानिर्देश की अपेक्षा करते हैं। हम शासन द्वारा प्रदत्त समस्त दिशानिर्देशों का अनुपालन कर एक स्वच्छ एवं सुरक्षित स्कूली व्यवस्था की अपेक्षा करते हैं।