Agra News: Successful surgery for broken ribs and lungs of a patient injured in an accident in SNMC…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में एसएन के इन डाॅक्टरों का कमाल. दुर्घटना में घायल मरीज की टूटी पसलियों और फेंफड़ों के सफल सर्जरी कर दी जिंदगी
55 वर्षीय नरेंद्र पाल सिंह, फिरोजाबाद निवासी, पेशे से चूड़ियों का काम करते हैं। एक भयानक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी छाती पर ऑटो गिरने से सभी बाईं पसलियां कई जगह से टूट गईं (Flail Chest) और टूटी हुई हड्डियों के टुकड़े फेफड़ों में घुस गए, जिससे फेफड़ों में खून भर गया और उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई। वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए उनका ऑक्सीजन स्तर लगातार गिरता जा रहा था।
SN मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जन डॉ. सुशील सिंघल और उनकी विशेषज्ञ टीम ने बिना समय गंवाए आपातकालीन सर्जरी का निर्णय लिया। इस जटिल 4 घंटे की सर्जरी में मरीज के फेफड़ों की मरम्मत (Lung Repair) की गई और सभी टूटी हुई पसलियों की प्लेटिंग (Artificial Ribs Fixation) कर मरीज को नई जिंदगी दी गई।
कार्डियोथोरेसिक सर्जन डॉ. सुशील सिंघल ने बताया कि सर्जरी के बाद मरीज को एक दिन आईसीयू में निगरानी में रखा गया और 14 दिनों की गहन देखभाल के बाद पूरी तरह स्वस्थ होकर डिस्चार्ज कर दिया गया। आज, नरेंद्र पूरी तरह खतरे से बाहर हैं और सामान्य जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।
उत्तर भारत में दुर्लभ जीवनरक्षक सर्जरी
यह जटिल सर्जरी उत्तर भारत में बहुत कम देखी जाती है क्योंकि विशेषज्ञता और जागरूकता की कमी के कारण कई मरीज समय पर सही इलाज नहीं करा पाते और अपनी जान गंवा देते हैं। SN मेडिकल कॉलेज, आगरा ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर यह साबित किया है कि सही समय पर किया गया इलाज किसी भी जीवन को बचा सकता है।
सर्जरी टीम
डॉ. सुशील सिंघल (कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जन), डॉ. यशवर्धन, डॉ. आकाश, डॉ. ज़फर
एनेस्थीसिया टीम: डॉ. अर्चना, डॉ. अतीहर्ष (क्रिटिकल केयर), डॉ. कृष्णा, डॉ. श्रेयस
स्टाफ: मोनू, सचिन
इस पूरी सर्जरी में सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. प्रशांत लवानिया का बड़ा सहयोग रहा। SN मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एवं डीन डॉ प्रशांत गुप्ता ने कहा कि, ‘SN मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टरों द्वारा जटिल से जटिल सर्जरी अब आगरा में सफलता के साथ की जा रही है, जिससे आगरा और आसपास के लोगों को दिल्ली या जयपुर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
“उत्तर भारत में छाती खोलकर फेफड़ों की मरम्मत और पसलियों की फिक्सेशन ( Ribs Fixation ) सर्जरी क्यों कम होती है?”
1. विशेषज्ञ सर्जनों की कमी: यह सर्जरी केवल अनुभवी कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जन (CTVS) द्वारा की जा सकती है। उत्तर भारत में ऐसे विशेषज्ञों की संख्या बहुत सीमित है, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में।
2. उपकरणों और सुविधाओं का अभाव: इस प्रकार की सर्जरी के लिए उन्नत चिकित्सा उपकरण, मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी, और ICU सुविधाएं आवश्यक होती हैं, जो अधिकांश अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होतीं।
3. जागरूकता की कमी: मरीज और उनके परिजन इस जटिल सर्जरी के फायदों और आवश्यकता के बारे में जानकारी नहीं रखते। अक्सर वे वेंटिलेटर या अन्य सामान्य उपचार पर निर्भर रहते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है।
4. सर्जरी के जोखिम का डर: गंभीर चोटों के कारण मरीज की हालत पहले से नाजुक होती है। ऐसे में परिजन ऑपरेशन कराने से डरते हैं, और डॉक्टर भी कई बार जोखिम लेने से बचते हैं।
5. अनुभव की कमी: इस प्रकार की जटिल सर्जरी (Ribs Fixation और Lung Repair) बहुत कम मामलों में होती है, जिससे कई डॉक्टरों और अस्पतालों को इसका पर्याप्त अनुभव नहीं होता।