आगरालीक्स…आगरा के सदर में स्थित 114 साल पुरानी क्वीन मैरी एंप्रेस लाइब्रेरी का नाम बदलने को हो मंथन, आ रहे सुझाव. पुस्तकों का सजेगा संसार
आगरा मंडल की आयुक्त रितु माहेश्वरी के निर्देशन में नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल और स्मार्ट सिटी जीएम अरुण द्वारा सदर स्थित 114 वर्ष पुरानी क्वीन मैरी एंप्रेस लाइब्रेरी का कायाकल्प कराया जा रहा है ताकि मानव मन को श्रेष्ठ विचारों का संस्कार प्रदान करने वाली पुस्तकों का संसार फिर सजाया जा सके। मंडलायुक्त की इस पहल की जितनी सराहना की जाए, वह कम है लेकिन यह प्रयास और भी बेहतर हो सकता है।
सूर-नज़ीर के नाम करें लाइब्रेरी
वर्ष 1911 में दिल्ली दरबार के आयोजन के वक्त आगरा के व्यापारी ने क्वीन मैरी एंप्रेस के सम्मान में लाइब्रेरी बनाई थी, लेकिन अब अपनी विरासत और गौरव को सहेजने की ज़रूरत है। अब इस लाइब्रेरी का नाम संत कवि सूरदास और जनकवि मियां नज़ीर अकबराबादी के नाम पर “सूर-नज़ीर पुस्तकालय एवं वाचनालय” रखना श्रेयस्कर होगा।
आगरा साहित्य कक्ष ज़रुरी
आगरा के पास सूर, मीर, ग़ालिब, नज़ीर, बाबू गुलाब राय, राजा लक्ष्मण सिंह, रांगेय राघव, पंडित ऋषिकेश चतुर्वेदी, पंडित राजेश्वर प्रसाद चतुर्वेदी, डॉ. द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, डॉ. श्री भगवान शर्मा, जगत प्रकाश चतुर्वेदी, चौधरी सुखराम सिंह, प्रताप दीक्षित, निखिल संन्यासी, रानी सरोज गौरिहार और कैप्टन व्यास चतुर्वेदी सहित अनेक विद्वान साहित्यकारों की विरासत है वहीं नवगीत के उन्नायक डॉ. सोम ठाकुर, पद्मश्री प्रो. उषा यादव, रामेंद्र मोहन त्रिपाठी, शांति नागर, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. कुसुम चतुर्वेदी, डॉ. सुषमा सिंह, डॉ. जय सिंह नीरद, शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ, राज बहादुर सिंह राज, अशोक रावत, डॉ. राजेंद्र मिलन, शिव सागर, डॉ. राजकुमार रंजन, डॉ. त्रिमोहन तरल और सुशील सरित सहित अनेक साहित्यकारों का वैभव है।
‘विरासत’ और ‘वैभव’ के साथ आगरा का ‘वर्तमान’ और ‘भविष्य’ भी साहित्य-क्षेत्र में कम नहीं.. अगर इस लाइब्रेरी में आगरा साहित्य कक्ष बना दिया जाए तो आगरा के संपूर्ण साहित्य की झांकी एक जगह मिल सकेगी। आगरावासियों के अलावा साहित्य के अनुरागी पाठकों और शोधार्थियों को इसका लाभ मिलेगा।
बनाएं पुस्तक कोष..
इस लाइब्रेरी में पुस्तक कोष की स्थापना की जाए। जहां इच्छुक वर्तमान साहित्यकारों के साथ-साथ दिवंगत होने वाले साहित्यकारों के परिजन भी अपने माता-पिता के निजी वाचनालय की अनमोल पुस्तकें रद्दी में बेचने की बजाय लाइब्रेरी में भेंट कर सकें। इस प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए पुस्तकें भेंट करने वाले व्यक्तियों को जिला प्रशासन द्वारा एक प्रशंसा पत्र भी दिया जाना ठीक रहेगा।