आगरालीक्स…आगरा में भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी की 163वीं जयंती पर किया नमन. काव्य संध्या में अंतर्राष्ट्रीय कवियों ने दी काव्यांजलि तो संगोष्ठी में रखे गए विचार
भारतीय राष्ट्रवाद के प्रबल पक्षधर, शिक्षा, साहित्य, स्वराज्य आन्दोलन, पत्रकारिता, विधि, राजनीति, आदि अनेक क्षेत्रों के देदीप्यमान नक्षत्र, सनातन धर्म, दर्शन, संस्कृति तथा भारतीय सभ्यता के मूर्त्तिमान प्रतीक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, भारत-रत्न महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय की 163 वीं जयंती के उपलक्ष्य में महामना मालवीय मिशन, आगरा संभाग ने द्वितीय वार्षिकोत्सव मनाते हुए संगोष्ठी, काव्य संध्या एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया।
शुक्रवार को खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में आयोजित समारोह का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति प्रो. आशू रानी, बौद्धिक प्रमुख प्रो. रूप नारायण, मुख्य संरक्षक पूरन डावर, संरक्षक साधना भार्गव, अध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
कुलपति प्रो. आशू रानी ने कहा कि महामना मालवीयजी भारतीय संस्कृति तथा उसकी चेतना की आत्मा हैं। वह प्राचीन और अर्वाचीन भारत के अपूर्व संगम हैं।
महासचिव राकेश चंद्र शुक्ल ने बताया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों द्वारा महामना मालवीय मिशन की स्थापना 1978 में नई दिल्ली में की गईं थी । भारतवर्ष में इसकी 30 शाखाएं है। आयोजन तीन सत्रों में संपन्न हुआ। प्रथम सत्र में कार्यक्रम में महामना मालवीय जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विचार रखे गए।
इसके बाद द्वितीय सत्र में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान हेतु चयनित विभूतियों को “महामना रत्न” सम्मान से अलंकृत किया गया। जिसमें महामना बिज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अतिविशिष्ट रत्न सम्मान प्रो. प्रेम सरन सत्संगी, महामना साहित्य रत्न अंजू रंजन (भारतीय विदेश सेवा), महामना शिक्षा रत्न 2024 प्रो. लवकुश मिश्रा, महामना खेल रत्न रीना सिंह, महामना पत्रकारिता रत्न डा. मनोज पंवार, महामना संस्कृति रक्षक रत्न आचार्य डॉ.निलिम्प त्रिपाठी, महामना चिकित्सा रत्न डॉ० पंकज नगायच, महामना ललित कला रत्न आइएएस अखिलेश मिश्रा, महामना पर्यावरण रत्न डॉ. मुकुल पाण्डया, महामना वीर रत्न बलिदानी कैप्टन शुभम गुप्ता, महामना समाज सेवा रत्न सुनील विकल, महामना रंगमंच एवं कला रत्न डिम्पी मिश्रा को प्रदान किया गया। आयोजन के तृतीय सत्र में काव्य संध्या हुयी, जिसमें गीत, हास्य, व्यंग्य, ओज एवं श्रृंगार की रचनाओं का पाठ अंतर्राष्ट्रिय कवियों द्वारा किया गया।
काव्य संध्या में संयोजन करते हुए डॉ रुचि चतुर्वेदी ने काशी को शिक्षा की काशी बना दिया, अभ्युदय नव हिंदी भाषी बना दिया…पंक्तियों से मालवीय जी को शब्दांजलि अर्पित की। संचालन करते हुए श्रुति सिन्हा ने भाेगवादिता की इस अंधी दौड़ में मैं मरूंगी नहीं, जीवित रखूंगी अपने को, जैसे रहती हैं जीवित पृथ्वी के गर्भ में विस्तारित जड़ें…नारी सशक्तिकरण की पंक्तियों का पाठ किया। इसी कड़ी में रस्तों के साथ में न मंजिल के साथ में…राकेश निर्मल, आंधियां बेशक चलें बरसें भले काली घटाएं…डॉ. अरुण उपाध्याय, जिसे हमदर्द हम समझे वजह वो दर्द की निकला…अभिषेक शर्मा, ताज की नींव में रिस रही सिसकियां…आइएएस अखिलेश मिश्रा, शिव शक्ति की महिमा तीनों लोकों ने गायी है…प्रो. उमापति दीक्षित ने काव्य रसधार का प्रवाह किया। इस अवसर पर उपाध्यक्ष प्रभाकर मिश्रा, प्रोफेसर नीलम, कोषाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, कृष्णा गौतम, मनोज शर्मा, संरक्षक विजय श्रीवास्तव, शिव प्रकाश शुक्ला, अवनीश शुक्ला, डॉ हरिवंश पांडे, विजय द्विवेदी, डॉ एसके मिश्रा, एसपी शुक्ला, सतीश देव त्यागी, बृजेश सिंह सिकरवार, रविकांत चावला, नीरज मिश्रा, गौरव सिंह, आरके शुक्ला, फूलचंद गुप्ता, अनिल मिश्रा, आरके सिंह, हरि मोहन यादव, गौरव गौतम, दुर्गेश पांडे, राहुल कुमार, अभिषेक वर्मा, निर्विकार गोयल, विजय सिंघल, जेपी तिवारी, डॉ विद्यानंद द्विवेदी, पुष्पराज चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।