Agra Special: Ancient Baba Tileshwar Nath Mandir of Agra, Know the history of this temple…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में ‘सिद्धस्थल’ के साथ ‘शांतिवन’ भी है बाबा टीलेश्वर नाथ मंदिर, जानिए भगवान शिव के दर्शन कर क्यों यमुना मैया की ओर मुंह करके बैठ जाते हैं श्रद्धालु
श्रावण मास में खास तौर पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। आज हम आपको आगरा में यमुना किनारे एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां भक्तगण मनोकामना पूर्ति के साथ ही शांति और सुकून पाने आते हैं।
बाबा टीलेश्वर नाथ मंदिर, बल्केश्वर महादेव मंदिर के सामने यमुना किनारे स्थित है। मंदिर में पूजा और देखभाल करने वाले बिरजो पंडित बताते हैं कि वे जब छोटे थे तब से इस मंदिर में आते हैं। उस समय यहां 1893 की एक शिला पट्टिका लगी थी। यमुना किनारे यह एक विशाल टीला था जहां शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग बरगद के एक वटवृक्ष के नीचे स्थापित है, लेकिन अब वटवृक्ष टूटकर उसकी एक जटा यहां वर्षों से वृक्ष के रूप में खड़ी है। भगवान शिव के साथ ही यहां माता पार्वती, श्रीगणेश जी और नंदी जी की मूर्तियां अति प्राचीन हैं।
महंत बिरजो पंडित बताते हैं कि ऐसे तो यहां बचपन से ही आते रहे हैं, लेकिन युवावस्था में यहां नियमित रूप से आने और भगवान की भक्ति करने से उनके जीवन में भी अदभुत परिवर्तन आए। क्रोध शांत हो गया और जीवन में शांत व सुकून का अनुभव हुआ। अब वे विगत 24 वर्षों से भगवान शिव की भक्ति कर रहे हैं और इस मंदिर की व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं। हालांकि यह भक्ति यात्रा उन्होंने यहां एक सफाई कर्मी के रूप में शुरू की। अन्य भक्तों के साथ मिलकर सबसे पहले सफाई कार्य आरंभ कराए। सरकार से एक लड़ाई के बाद करीब 15 वर्ष पहले यहां जीर्णोद्धार कार्य हुआ। इसके लिए एडीए से 60 लाख रूपये का बजट पास हुआ, जिससे नए नए घाट का निर्माण, मंदिर परिसर में सुधार कार्य हुए। दानदाताओं के सहयोग से भी काफी जीर्णोद्धार हुआ। इसमें हरीशंकर खंडेलवाल जी का काफी सहयोग रहा।
मंदिर में एक घंटे की स्तुति प्रार्थना होती, जिसमें सभी भक्तगण मिलकर ‘दिल की दुविधा दूर करें बिल्वकेश्वर नाथ सहाई हैं, मन की इच्छा पूर्ण करें टीलेश्वर नाथ सहाई हैं…’ का स्तुति जाप होता है। यह मंदिर एक सिद्ध स्थान है, क्योंकि यहां कई संत-महात्माओं ने सिद्धि कर अपने शरीर त्यागे हैं। आस-पास का हरा-भरा वातारण, बरगद और पीपल के लाभकारी विशाल वृक्ष और उपवन मन को गहरी शांति और सुकून प्रदान करते हैं। इसलिए इसे सिद्ध स्थान के साथ शांतिवन भी कहा जाता है। भक्तगण यहां आते हैं और भगवान शिव, माता पार्वती के दर्शन कर कुछ समय के लिए यमुना मैया की ओर अपना मुंह करके बैठ जाते हैं। इससे उन्हें गहरी शांति और सुकून का अनुभव होता है। कुछ समय के लिए वे अपनी सारी चिंताएं भूल जाते हैं। शहर भर के अन्य स्थानों व दूर-दूराज से बाबा बल्केश्वर नाथ के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुजन बाबा टीलेश्वर नाथ के दर्शन करने यहां जरूर आते हैं। मंदिर परिसर के नजदीक ही प्राचीन माता पार्वती देवी घाट, कैलादेवी घाट स्थित हैं और एक नए घाट का निर्माण हुआ है। देव स्थली है। करीब डेढ़ करोड़ रूपये की लागत से हाल ही में जीर्णोद्धार कार्य हुए हैं। इसके साथ ही यह स्थान तीर्थयात्रियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है।