नमस्कार मित्रो
2016 का आज अंतिम दिन है, कोहरा है लेकिन सर्दी कम है, सुबह की गरमा गरम चाय की चुस्की नोटबंदी की जगह सपा में बाप, बेटे और चाचा की रार जगह ले चुकी है। साल जाते जाते देश की स्क्रीन पर भूचाल लाने वाली दो मूवी की तस्वीर दिलो दिमाग में घूम रही है। इसमें सस्पेंस है, रोमांस है तो ड्रामा भी है। इस सबके बीच विलेन का रोल अहम है। सत्य और तथ्य के बजाय भावनाएं और पूर्व धारणाएं ज्यादा हैं। जिसे पोस्ट ट्रूथ कहा जाता है और आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इसे वर्ड आॅफ द ईयर 2016 घोषित किया है। आठ अक्टूबर को नोटबंदी, भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ ईमानदार देशवासियों का पीएम नरेंद्र मोदी को भरपूर समर्थन मिला, तीसरे दिन ही खबर आने लगी कि बैंकों की लाइन में विलेन ने अपने गुर्गे खडे कर दिए हैं और कालेधन को सफेद करने में जुट गए, आम लोग काम धंधा छोडकर लाइन में खडे रहे और विलेन के गुर्गे बैंकों का कैश निकाल कर उनकी आंखों के सामने से जाते रहे। इस पर रोक लगी तो बैंकों से नए दो हजार के नोट विलेन के पास पहुंच गए और देश भर से रुपये पकडे गए, इस पर सख्ती हुई तो नकली दो हजार और 500 रुपये के नोट पकडे गए। धैर्य देखिए, लाइन में घंटों इंतजार के बाद भी लोग अच्छे दिनों की उम्मीद लगाए बैठे हैं। 50 दिन हो चुके हैं, कालेधन का हिसाब नहीं है, यह भी हो सकता है कि कालाधन सफेद हो चुका है और नए नोटों में रिश्वत दी जाने लगी है, आगरा में शिक्षा विभाग जहां यूपी बोर्ड की परीक्षा में करोडों का भ्रष्टाचार होता है, वह 50 हजार रुपये रिश्वत लेते पकडा गया है।
साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर को नोटबंदी का पोस्टमार्टम होना था, इससे पहले ही 30 दिसंबर की रात करीब आठ बजे प्रदेश की सत्ता पर काबिज सपा के मुखिया ने अपने बेटे, जो प्रदेश के सीएम भी हैं, उन्हें और उनके चाचा रामगोपाल को पार्टी से छह साल के लिए बाहर कर दिया। लोग सडक पर उतर आए, आत्मदाह भी किया, लेकिन घर के अंदर क्या चल रहा है यह किसी को पता नहीं हैं। राजनीति में कुछ भी संभव है, नए साल का सूरज नई उम्मीद लेकर आएगा।
योगेंद्र दुबे
संपादक
agraleaks.com
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