Agra News: Public representatives also watched the film The Sabarmati
Balveer Giri will be the successor of Baghmbri Math
लखनऊलीक्स(29th September 2021 )…बाघम्बरी मठ के उत्तराधिकारी होंगे बलवीर गिरि. लेकिन नहीं मिलेंगे अधिकार.
तीन वसीयतें सामने आई
प्रयागराज में बाघम्बरी मठ के उत्तराधिकारी बलवीर गिरि पांच अक्टूबर को गद्दी संभालेंगे। मठ के उत्तराधिकारी को लेकर तीन वसीयतें सामने आई थीं। महंत नरेंद्र गिरि ने भी अपने सुसाइड नोट में बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
पुराने मंहत जैसे अधिकार नहीं मिलेंगे
मठ के जिम्मेदार लोगों ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के चलते अब नए महंत को पुराने महंतों जैसे अधिकार नहीं मिलेंगे। यानी नए महंत स्वयंभू नहीं होंगे। उन पर एक सुपर एडवाइजरी बोर्ड की लगाम रहेगी। इस एडवाइजरी बोर्ड में निरंजनी अखाड़े और मठ के आधा दर्जन माननीय शामिल होंगे। जो मठ और अखाड़े की परंपराओं को अच्छी तरह जानते होंगे।
कल देर रात तक होती रही बैठक
मठ से जुड़े विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बीती शाम सात बजे से रात्रि दो बजे तक मठ के नए महंत के बारे में विसतृत चर्चा के बाद बलवीर गिरि को मठ की गद्दी सौंपने का फैसला लिया गया।
अभी सुलझी नहीं मौत की गुत्थी
महंत नरेंद्र गिरि की मौत की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है। लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि, पवन महाराज और स्वामी आनंद गिरि समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई इसकी जांच कर रही है।
सुसाइड नोट पर उठे थे सवाल
महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से मिले सुसाइड नोट पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उनके शिष्य आनंद गिरि का दावा है कि महंत जी ठीक तरीके से लिख नहीं पाते थे, जबकि उनके एक अन्य शिष्य निर्भय द्विवेदी का कहना है कि महंत जी लिख सकते थे। उसने यह भी कहा कि सोमवार को महंत जी किसी के आने का इंतजार कर रहे थे।
एक वीडियो भी मिला
पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से सात पन्नों के सुसाइड नोट के अलावा एक वीडियो सीडी भी बरामद की है। जो महंत नरेंद्र गिरि ने मौत से पहले रिकॉर्ड की थी। पुलिस जांच कर रही है।
एक और महंत ने लगाए आनंद गिरि पर गंभीर आरोप
नोएडा में ब्रह्मचारी कुटी के स्वामी ओम भारती ने आनंद गिरि को लेकर खुलासा किया है कि वह एक हिस्ट्रीशीटर है। लॉकडाउन के दौरान उसने नोएडा के सेक्टर 82 में स्थित ब्रह्मचारी कुटी पर कब्जा करने की कोशिश की थी। तब आनंद गिरि ने खुद को प्रथम महंत बताया था। स्वामी ओम भारती ने बताया कि उन्होंने इस मामले में एफआर्इ्आर कराने की कोशिश की लेकिन उनकी एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसके बाद ओम भारती ने नरेंद्र गिरि से संपर्क किया था, तब आनंद गिरि ने अपना दावा वापस लिया।