आगरालीक्स….. दो साल पहले 30 वर्षीय मरीज का मानसिक रोग का उपचार चल रहा था, तब एक दिन वह चाबी मुंह में रखकर सो गया। यह चाबी उसके श्वास नली में जाकर अटक गई। उसे खासी हुई तो उसके घरवालों ने एक झोलाझाप डाक्टर को दिखाया। किसी ने उसकी इस बात पर विश्वास नहीं किया कि उसने एक चाबी निगल ली है। दो साल तक उसे खासी बनी रही। अस्पताल आने के बजाए वह झोलाछाप डाक्टरों को दिखाता रहा। कुछ दिन पहले वह आयुर्वेदिक डाक्टर के पास गया जिन्होंने पहली बार उसकी छाती का एक्स-रे कराया। श्वास की नली में एक बड़ी सी चाबी को फंसी देख उन्होंने मरीज को सीटीवीएस विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू में तत्काल रेफर कर दिया जहा जाच के बाद नली में फंसी चाबी को सफलतापूर्वक रिजिड एवं फ्लेक्सिबल ब्राकोस्कोप की मदद से निकाला गया। वाराणसी बीएचयू के डा. आरबी सिंह एनेस्थीसिया विभाग एवं डा. सिद्धार्थ लखोटिया कॉर्डियक सर्जन के नेतृत्व में डाक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की टीम ने 30 वर्षीय मरीज की श्वास नली में पड़ी धातु की छह सेंटीमीटर लंबी चाबी सफलतापूर्वक निकाली। यह पिछले दो सालों से नली में फंसी थी। मरीज अब सामान्य है।
अस्पताल से दो दिन बाद छुट्टी कर दी जाएगी। सही समय पर जानकारी एवं उपचार न होने पर श्वास की नली में फंसी चीजों से फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। मरीज की दम घुटने से मृत्यु तक हो सकती है। ब्राकोस्कोपी द्वारा न निकाल पाए जाने पर इन्हें सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक निकाला जा सकता है।
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