Child poet Ishaan’s first book Mere Dil Ke Udgaar released#agranews
आगरालीक्स(11th August 2021 Agra News)…जय हिन्द से बड़ा कोई फरमान नहीं होता, सैनिक से बड़ा कोई भगवान नहीं होता…। सेंट जार्जेस के छात्र बाल कवि ईशान की पहली पुस्तक का विमोचन।
मेरे दिल के उदगार का विमोचन
आगरा का एक और दीपक विश्व में अपनी रोशनी बिखेरने को तैयार हो रहा है। महज 13 वर्ष की आयु में एक दर्जन से अधिक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय स्तर के कवियों संग मंच साझा कर अपनी लेखनी को प्रमाणित किया। अब विभिन्न विधाओं से परिपूर्ण अपनी पहली रचना अपने दादा लल्लू सिंह को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समर्पित की है। दयालबाग निवासी व सेंट जार्जेस में आठवी कक्षा के छात्र ईशान देव की पहली पुस्तक मेरे दिल के उदगार का विमोचन संजय प्लेस स्थित होटल मेट्रो में देश के जाने मानें हास्य कवि प्रताप फौजदार ने किया।
ईशान के जीवन के बारे में बताया
सर्वप्रथम वीडियो के माध्यम से ईशान के जीवन के बारे में बताया गया। इसके उपरान्त अतिथियों प्रताप फौजदार, रंजीत सामा, चंद्रकान्त त्रिपाठी, मंजू दीक्षित, कुमार मनोज ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अतिथियों का स्वागत विनोद यादव, सूरज तिवारी, अशोक यादव, रिंकी यादव, दीपक यादव, पिंकी यादव, राहुल उपाध्याय ने माला पहनाकर किया।
50 कविताएं और दस लेख शामिल
ईशान ने अपनी पुस्तक के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इसमें विभिन्न विषयों पर 50 कविताएं व 10 लेख शामिल हैं। अपने पिता डॉ. विनोद यादव के साथ बचपन में जब वह कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों की रचनाएं सुनते थे, तब सात वर्ष की आयु में ही उन्होंने निश्चित कर लिया था कि उन्हें भी कवि बनना है।
रचानाओं में देश प्रेम झलकता है
मुख्य अतिथि प्रताप फौजदार ने कहा कि ईशान की रचनाओं में देश प्रेम झलकता है। देश में भ्रष्टाचार, पर्यावरण असंतुलन, किसान और सैनिकों से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. अरुणोदय वाजपेयी, डॉ.अखंड प्रताप सिंह, डॉ. सुषमा सिंह, डॉ. पार्थ सारथी शर्मा, राजकुमार यादव, डॉ. डीवी शर्मा, डॉ. अलका सेन, डॉ. डीवी सिंह, लक्ष्मी शर्मा, पूनम वर्मा, राहुल उपाध्याय आदि उपस्थित थे। संचालन हरीश सक्सेना चिमटी वधन्यवाद ज्ञापन मंजू दीक्षित ने दिया। कार्यक्रम की व्यवस्था ग्लैमर लाइव संस्था ने सम्भाली।
हिन्दी को रोजगार से जोड़ना चाहते हैं ईशान
आगरा। हिन्दी को उसकी असली पहचान दिलाना ही ईशान का लक्ष्य है। ईशान कहते हैं कि न सिर्फ गद्य व काव्य के माध्यम से बल्कि हर सरकारी नौकरी करने वाले के लिए हिन्दी आना अनिवार्य होना चाहिए। इसके लिए वह एक आंदोलन चलाने की योजना भी बना रहे हैं। उनके मन की मंशा उनकी इन पंक्तियों में भी झलकती है,
राष्ट्र के लिए कलम उठाई है, कविता का न मैं धंधा करता हूं,
न पक्ष न विपक्ष सच को सच झूठ की निंदा करता हूं।
जो भारतीयों का आधार है, जिसको हम भूल रहे,
कविता के माध्यम से बस उन संस्कारों को जिन्दा करता हूं।