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Dev Shayani Ekadashi on July 10: You can get special benefits from these home remedies, what to avoid during Chaturmas
आगरालीक्स… ( 06 July 2022)देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को है। कुछ सरल घरेलू उपायों से प्राप्त कर सकते हैं विशेष लाभ। चातुर्मास में किन चीजों को खाने से बचें तो जानिये आज विस्तृत जानकारी।
देवशयनी एकादशी से रुकते हैं मांगलिक कार्य
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार के ज्योतिषाचार्य पं. ह्रदयरंजन शर्मा बताते हैं कि 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो रहे हैं. हिन्दू धर्म के अनुसार इस चार माह में कोई भी मंगल कार्य नहीं किये जाते।
चार माह का होता है विशेष महत्व
भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं, जिसके बाद सारे शुभ कामों पर रोक लग जाती है तो इसी देवशयनी एकादशी यानी आषाढ़ की शुक्ल पक्ष से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी ( देवठान एकादशी) 04नवंबर 2022 तक ये चातुर्मास मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में इन 4 महीनों का काफी महत्व होता है।
चातुर्मास में इनका सेवन नहीं करें
आपको बता दें, इन महीनों में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए. इन दिनों तेल, दही के साथ चावल, गुड़, मूली, बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए।
भगवान विष्णु के मंत्रों का करें जाप
🌻 इसी के साथ अगर अगर आपको माँ लक्ष्मी की कृपा पाना हो तो आपको भगवन विष्णु के मंत्रों का जाप करना होगा। इन चार महीनों में माँ लक्ष्मी भगवान विष्णु की लगातार सेवा करती हैं इसलिए आपको भगवान विष्णु के मंत्र जपने होंगे. इन महीनों में विवाह, उपनयन संस्कार, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य रुक जाते हैं और इसके बाद सीधे देवउठनी एकादशी पर ही होते हैं, तब भगवान विष्णु अपने स्थान को लौट आते हैं।
देवशयनी एकादशी करने योग्य प्रमुख घरेलू आसान से उपाय
💥 अगर आप इस दिन व्रत रख सकें तो अति उत्तम है लेकिन अगर ना रख सकें तो कुछ सामान्य सी शुभ गतिविधियां (कार्य )कर सकते हैं।
🍁1 .प्रात:काल स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की सोने, चांदी, पीतल या तांबे की मूर्ति को पीतांबर से सजाकर सफेद वस्त्र से सजे तकिए तथा बिस्तर वाले एक छोटे से पलंग पर शयन कराएं। इसके साथ ही कुछ खास मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इन महीनों में कुछ चीजों के त्याग का व्रत लें।
🍁 2. देवशयनी एकादशी पर दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
🌷 3. देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
🏵 4. अगर आप धन लाभ चाहते हैं तो इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
🌸 5. एकादशी की शाम तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं और तुलसी के पौधे को प्रणाम करें।
🌺 6. देवशयनी एकादशी पर गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
🌟 7. पीपल में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। एकादशी पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
🌻 8. विष्णु भगवान के मंदिर में जाकर अन्न (गेहूं, चावल आदि) दान करें। बाद में गरीबों में बांट दें।
🔥 9. मधुर स्वर के लिए गुड़, लंबी आयु के लिए सरसों का तेल, शत्रु बाधा से मुक्ति पाने के लिए सरसों तेल और मीठा तेल, संतान प्राप्ति के लिए दूध का दान करें व् पाप मुक्ति के लिए उपवास करें।
🍁 10. सुबह-सुबह घर की साफ-सफाई के पश्चात मुख्य द्वार पर हल्दी का जल या गंगाजल का छिड़काव करें। “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ नमो भगवते वसुदेवाय नम:” का 108 बार या एक तुलसी की माला जाप करें। घर में धन-धान्य तथा लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का केसर मिले जल से अभिषेक करें।
🍁 11.एकादशी की शाम में तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वसुदेवाय नम:” का जाप करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। इससे घर के सभी संकट और आने वाली परेशानियां टल जाती हैं।
💥 देवशयनी एकादशी 💥
💥 09 जौलाई 2022 शनिवार की सायं 04:39 से 10 जुलाई 2022 रविवार की दोपहर 02:13 तक देवशयनी एकादशी है ।
💥 विशेष~ 10 जुलाई 2022 रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
💐 युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें ।
🌹 भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ । वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है ।
🌸 आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया ।
🏵 ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए ।
🌺 जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए ।ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।
💥 राजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है । जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए ।
🌷 सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए । जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है ।
🔥 राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए। कभी भूलना नहीं चाहिए ।
🍁 ‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं, गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं – अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए ।