Devotees not allowed in Garb Grah of Shree Kailash Mandir, Agra…#agranews
आगरालीक्स…..(14 February 2022 Agra News) #आगरा के श्री प्राचीन #कैलाश मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद
आगरा के श्री प्राचीन कैलाश मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद, मंदिर के गर्भगृह का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसके चलते गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद कर दिया गया है। श्रद्धालुओं बाहर से ही दर्शन कर सकते हैं और आरती में शामिल हो सकते हैं।
दो शिवलिंग वाले श्री प्राचीन कैलाश मंदिर, सिकंदरा के गर्भगृह का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। यहां मंदिर में दो शिवलिंग हैं, गर्भगृह का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। महंत गौरव गिरि ने बताया कि अभी गर्भगृह के जीर्णोद्धार में समय लगेगा, तब तक गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद कर दिया गया है। गर्भगृह के बाहर से ही श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं और आरती में शामिल हो रहे हैं।
पौराणिक है मान्यता
आगरा के सिकंदरा स्थित कैलाश मंदिर का इतिहास काफी पौराणिक है. महंत गौरव गिरी के अनुसार कैलाशपति महादेव का यह दरबार दस हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है. यहां एक सााि दो शिवलिंग मंदिर की महिमा को और भी बढ़ाते हैं. मान्यता है ऐसा संयोग दुर्लभ ही मिलता है. बताया जाता है कि यहां शिवलिंग भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदगिनी के द्वारा किए गए थे. दोनों ने मंदिर में एक एक शिवलिंग स्थापित किया. ऐसा बहुत ही कम मंदिर में है. मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु के ठवें अवतार भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की आराधना के लिए गए थे. यहां भगवान शिव ने उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा जिस पर भगवान परशुराम और उनके पिता ने उनसे अपने साथ चलने और हमेशा साथ रहने का आशीर्वाद मांगा. इस पर भगवानि शव ने दोनों पिता पुत्र को एक एक शिवलिंग भेंट दे दिए.
बताया जाता है कि जब दोनेां पिता पुत्र शिवलिंग को लेकर आश्रम रेणुका के लिए चले तो वह छह किलोमीटर पहले ही रात्रि विश्राम के लिए रुके. सुबह होते ही दोनों पिता पुत्र स्न्नान करने के बाद ज्योर्तिलिंगों की पूजा करने के लिए पहुंचे तो ये दोनों ज्योर्तिलिंग यहां स्थापित हो गए. महर्षि परशुराम और उनके पिता ने शिवलिंग को उठाने का काफी प्रयास किया लेकिन वो उस जगह से उठा नहीं पाए. इस पर दोनों पिता पुत्र ने यहीं दोनों शिवलिंगों की स्थापना कर और तब से इस स्थान का नाम कैलाश पड़ गया.