आगरालीक्स…(1 October 2021 Agra News) आगरा की डीईआई की शोधार्थी डॉ. प्रतिमा गुप्ता को मिला क्लीन एयर इंडिया में बेस्ट पीएचडी थेसिस अवार्ड. जानिए इनके शोध में कैसा रहा आगरा का वातावरण
गलगोटिया विवि में दिया गया पुरस्कार
दयालबाग शिक्षण संस्थान, दयालबाग, आगरा के विज्ञान संकाय के रसायन विज्ञान विभाग से 2021 मे वातावरण रसायन विषय मे पीएचडी डा प्रतिमा गुप्ता को बेस्ट थीसेस पुरस्कार गलगोटिया विश्वविधालय मे आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस मे 30 सितंबर 2021 को दिया गया है। प्रतिमा गुप्ता रसायन विज्ञान के डा रंजीत कुमार के गाइडैंस में पीएचडी की हैं। प्रतिमा गुप्ता ने बताया कि क्लीन एयर इंडिया मिशन को ध्यान में रखते हुए मेरे पीएचडी थीसिस का विषय एटमॉस्फेरिक ब्लैक कार्बन कैरक्टराइजेशन एंड डिपोजिशन एट ए सेमिअरिड रीजन ओवर इंडोगंगेटिक बेसिन है।
ब्लैक कार्बन के प्रभाव के बारे में बताया
कार्बन डाइऑक्साइड के बाद ब्लैक कार्बन का प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग में सबसे अधिक है और यह मानव, कृषि और पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा है। इसलिए मेरे थीसिस का मुख्य उद्देश्य ब्लैक कार्बन की वायुमंडलीय सांद्रता को मापना, उसके स्रोत का पता लगाना और डिपोजीशन का अनुमान और ब्लैक कार्बन के कारण होने वाले रेडिएटिव फोरसि़ग के प्रभाव को जानना था। डा गुप्ता ने बताया कि बीएचयू से पोस्ट ग्रेजुएशन एनवीरोंमेंटल् स्टडीज मे करने के बाद दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट मे इसरो जीबीपी स्पॉन्सर्ड प्रोजेक्ट में काम किया और इसी साल पीएचडी थीसिस सबमिट किया.
वायु प्रदूषण के उच्च प्रभाव वाला शहर है आगरा
पूरे विश्व में भारत को ब्लैक कार्बन के लिए शीर्ष उत्सर्जक देशों में से एक माना गया है और भारत में इंडो गंगेटिक बेसिन को सबसे ऊपर रखा गया है। आगरा इंडो गंगेटिक बेसिन में वायु प्रदूषण के उच्च प्रभाव वाला शहर है। लेकिन यहाँ के वातावरण में ब्लैक कार्बन की मात्रा अन्य शहरों से कम है। सामान्य रूप से इंडो गंगेटिक बेसिन और विशेष रूप से आगरा में बहुत कम रियल टाइम ब्लैक कार्बन का अध्ययन किया गया है और यह एक उचित समय है कि इस तरह का अध्ययन आगरा में व्यवस्थित रूप से किया जाए।
अपने तरह का पहला अध्ययन
यह भारत में अपने तरह का पहला अध्ययन है जो ब्लैक कार्बन के डिपोजिशन और रेडिएटिव फोरसि़ग के बारे में विस्तृत जानकारी देता है। अलग अलग मौसम में इसके अलग- अलग स्रोत देखे गए हैं। आगरा में इसका मुख्य स्रोत फॉसिल फ्यूल है, जिसे जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं। लेकिन विंटर सीजन में बायोमास कंबशन मुख्य रूप से ब्लैक कार्बन का स्त्रोत है जो दूर के स्थानों से आकर आगरा के हवा को प्रभावित करता है। डा रंजीत कुमार ने बताया कि हाल ही मे इंटरगोवरमेंटल पैनल ऑन क्लिमेट चेंज के रिपोर्ट तथा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनिजेसन द्वारा ब्लैक कार्बन ऐरोसॉल् को लेकर चिंता इस अध्ययन के महत्ता को दर्शाता है।