Agra News: Recruitment of security personnel and security supervisor in
Know the importance of feeding crows in Shradh #agranews
आगरालीक्स(19th September 2021 Agra News)… श्राद्ध में जितना जरूरी भांजे और ब्राह्मण को भोजन कराना होता है, उतना ही जरूरी कौवों को भोजन कराना होता है. जानिए महत्व और क्या है मान्यता.
कल से शुरू हो रहे हैं पितर पक्ष
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व होता है। इस साल पितृपक्ष 20 सितंबर से छह अक्तूबर तक चलेंगे। इस पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस दिन कौवों को भी भोजन कराया जाता है। कौवों को भोजन कराना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता तो उसे पितरों का श्राप लगता है। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद जितना जरूरी भांजे और ब्राह्मण को भोजन कराना होता है, उतना ही जरूरी कौवों को भोजन कराना होता है। माना जाता है कि कौवे इस समय में हमारे पितरों का रूप धारण करके पृथ्वीं पर उपस्थित रहते हैं।
ये है कथा
ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि इसके पीछे पौराणिक कथा है। इंद्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौवे का रूप धारण किया था। यह कथा त्रेतायुग की है। जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके का बाण चलाकर जयंत की आंख फोड़ दी थी। जब उसने अपने किए की माफी मांगी। तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया भोजन पितरों को मिलेगा, तभी से श्राद्ध में कौवों को भोजन कराने की परंपरा चली आ रही है।
यह है कारण
यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में कौवों को ही पहले भोजन कराया जाता है। इसी कारण कौवों को न तो मारा जाता है और न हीं किसी भी रूप से सताया जाता है। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे पितरों के श्राप के साथ अन्य देवी देवताओं के क्रोध का भी सामना करना पड़ता है। उन्हें जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की कोई सुख और शांति प्राप्ति नहीं होती है। पितर पक्ष के समय पंच बली जरूर निकालें। 1. चींटी, 2. गाय, 3.कौआ, 4. कुत्ता, 5. देवादि बलि यह जरूर करनी चाहिए।