कई वर्ष पहले केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. रामशंकर कठेरिया के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे। इन मामलों में गैर हाजिर रहने के कारण कोर्ट ने उन्हें तलब किया। मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे वो जमानतियों के साथ कोर्ट पहुंचे। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) न्यायालय में केंद्रीय राज्यमंत्री के अधिवक्ता विजय आहूजा और देवेंद्र सिंह ने तर्क दिए कि विवेचना के दौरान डॉ. कठेरिया भाजपा के सांसद थे, जो वर्तमान में केंद्र सरकार में राज्यमंत्री पद हैं। राजनीतिक विद्वेषवश उनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज कराए गए थे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता के तर्क के आधार पर सीजेएम ने कहा कि आरोपी डॉ. रामशंकर कठेरिया के खिलाफ विवेचना के बाद आरोप पत्र दाखिल किए थे। जबकि कई मामलों में आरोपी को थाने से जमानत दी जानी चाहिए थी। सभी तथ्यों और अपराध की प्रकृति को देखते हुए जमानत के लिए पर्याप्त आधार हैं। सीजेएम ने बीस-बीस हजार की दो जमानत और इसी राशि के व्यक्तिगत बंधपत्र अदालत में जमा करने पर रिहाई के आदेश दे दिए। इसके बाद दोपहर करीब तीन बजे केंद्रीय राज्यमंत्री पार्टी नेताओं के साथ वहां से निकल गए।
इन मामलों में किया समर्पण
थाना हरीपर्वत
– वर्ष 2010 में धारा 144 के उल्लंघन के मामले में 188 सीआरपीसी में मुकदमा दर्ज किया गया।
– वर्ष 2012 में टोरंट पावर के सुरक्षा अधिकारी कृष्ण कुमार द्वारा आइपीसी की धारा 452, 147, 504, 506 में मुकदमा दर्ज कराया गया।
नाई की मंडी
वर्ष 2011 में दो मामले दर्ज हुए। इनमें से एक मुकदमा बलवा, सरकारी कार्य में बाधा और दूसरा 34 पुलिस एक्ट में दर्ज हुआ।
आरपीएफ आगरा कैंट
वर्ष 2009 में रेल मार्ग अवरुद्ध करने पर 146, 147 और रेलवे अधिनियम की धारा 174 में मुकदमा दर्ज किया गया।
जीआरपी आगरा कैंट
रेल मार्ग अवरुद्ध करने पर वर्ष 2012 में जीआरपी द्वारा तीन मुकदमे दर्ज किए गए। जिनमें आइपीसी की धारा 147, 353, 283, 504, 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट शामिल थे।
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