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Nagpanchami special: Nagchandreshwar temple which opens only for one day in a year, Nagraj Takshak resides
आगरालीक्स… नागपंचमी पर कल मंदिर, घरों में पूजन होगा लेकिन नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ इसी दिन ही खुलता है। जानिये क्या है मान्यता।
उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार के ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। देश में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
नागपंचमी के दिन ही खुलता है यह मंदिर
🌻 इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
फन फैलाये नाग के आसन पर बैठें हैं शिव-पार्वती
🌷 नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
भोलेनाथ सर्प शैया पर हैं विराजमान
पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
सर्पराज तक्षक वास करते हैं मंदिर में
🍁 सर्पराज तक्षक ने शिवशंकर को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया।
दर्शन से ही खत्म हो जाता है सर्पदोष
🌺 महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो अत: वर्षों से यही प्रथा है कि मात्र नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन को उपलब्ध होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्त हो जाता है।
आज रात 12 बजे खुलेंगे मंदिर के पट
🌸 नागपंचमी पर वर्ष में एक बार होने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए मंगलवार रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। बुधवार नागपंचमी को रात 12 बजे मंदिर में फिर आरती होगी व मंदिर के पट पुनः बंद कर दिए जाएंगे।
🌹 नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है
नागपंचमी पर दोपहर कलक्टर करते हैं पूजा
🌷 नागपंचमी को दोपहर 12 बजे कलेक्टर पूजन करते है। यह सरकारी पूजा होती है। यह परंपरा रियासतकाल से चली आ रही है। रात 8 बजे श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति द्वारा पूजन होगा