अपेंडिक्स छोटी और बड़ी आंत के मिलान बिन्दु के पास दो से चार इंच की पूंछड़ीनुमा होती है। अपेंडिक्स का हमारे खानपान के साथ हुई शारीरिक संरचना में बदलाव से संबंध है। प्राचीनकाल में गुफामानव की कच्ची चीजें खाने की आदतों के समय यह सेलुलोज को पचाने में उपयोगी मानी जाती थी लेकिन अब पकी चीजें ज्यादा खाने से शरीर में इसकी उतनी उपयोगिता नहीं रह गई है।
इसमें संक्रमण या सूजन के कारण भयंकर पेटदर्द होता है जो नाभि से शुरू होकर पेट की दांयी तरफ नीचे के हिस्से में जाता है। उल्टी, बुखार, भूख न लगना जैसे लक्षणों के साथ ऊपर-नीचे कूदते वक्त चुभने वाला पेट दर्द होता है।
अपेंडिक्स में सूजन के कारण इसमें मवाद पड़ने (लंप बनना) से इसके फटने की आशंका रहती है। ऎसी स्थिति में तुरंत ऑपरेशन किया जाता है। 48 घंटे या उससे ज्यादा देरी होने पर आंतों से चिपकने के कारण अपेंडिक्स की गांठ बनने और पेट में इंफेक्शन फैलने का खतरा रहता है।
अपेंडिक्स में मल फंसने या पेट में मौजूद छोटे कीड़े इसमें घुस जाने से इंफेक्शन होता है, जिससे सूजन आ जाती है। किस तरह के टेस्ट- डॉक्टर क्लीनिकल परीक्षण कर पता लगाते हैं कि अपेंडिक्स है या नहीं। इसके अलावा एक्सरे, सोनोग्राफी, टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन, यूरिन व खून की जांच भी कराई जाती है।
ऑपरेशन है इलाज
पाठक हॉस्पिटल के विशेषज्ञों के अनुसार, शुरूआती दर्द दवाओं से ठीक हो जाता है, लेकिन एक बार दर्द होने के बाद दोबारा होने की आशंका 50 फीसदी रहती है, इसलिए सर्जरी की सलाह दी जाती है। लेप्रोस्कॉपी व ओपन सर्जरी दोनों की जाती हैं। कम टांकें व जल्दी रिकवरी के कारण लेप्रोस्कॉपी तकनीक बेहतर मानी जाती है।
इनका रखें ध्यान
शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें।
कब्ज से बचें ताकि दर्द की आशंका कम हो।
ऑपरेशन के बाद हल्का भोजन लेने की आदत डालें।
ऑपरेशन के बाद कुछ दिन पपीता न खाएं।
आगरा में एक छत के नीचे आॅपरेशन से लेकर जांच और अत्याधुनिक तकनीक से इलाज की सुविधाएं पाठक हॉस्पिटल, 100 फुट रोड ताजनगरी फेज टू में दी जा रही हैं। हेल्प लाइन नंबर ……..0562 2970883, 2970884, 09412257790 पर संपर्क कर सकते हैं।
Leave a comment