जीवन में होशपूर्ण होना क्यों आवश्यक है ।क्यों सभी धर्म होश बढाने पर इतना बल देते हैं ।क्योंकि जीवन में होश की अनिवार्यता है। सभी धर्मों में होश की मात्रा कम करने के कारण मादक पदार्थों के सेवन को धर्म के विरुद्ध कहा है।क्योंकि धर्म परम होश है। धर्म जीवन का शास्त्र है। जीवन में होशपूर्ण होना इसलिए आवश्यक एवं अनिवार्य है क्योंकि जीवन गतिशील है ।जीवन में हम रुक नहीँ सकते गति तो होती रहेगी ।जीवन में गति सही दिशा में हो सके इसके लिए आवश्यक है कि हम होशपूर्ण बने रहे,जिससे जीवन की दुर्घटनाओं से,पश्चाताप से एवं दुख से बचा जा सके।
यह हम सभी अनुभव करते हैं कि मन सतत विचारों की श्रृंखला है।विचारों के साथ हमारे भाव का भी सृजन होता रहता है ।विचारों और भाव के कारण हम कर्म भी करते हैं।विचार भाव और कर्म के संयुक्त प्रभाव से हम जीवन में तमाम कर्मफल को प्राप्त करने के लिए विवश होते हैं।फिर/ इन्ही कर्मफल को हम परिभाषित करते हैं ,किसी को हम दुख कहते हैं ,किसी को पश्चाताप कहते है,एवं किसी को जीवन की दुर्घटना कहते हैं।जीवन में हम इस विन्दु तक पहुचे इसके पहले ही हमें होशपूर्ण होना पडेगा ,अपने साक्षीभाव को साधना होगा जो कि इस गतिशीलता को दिशा दे सकें ।ताकी जीवन दुर्घटना न बने बाल्कि जीवन में एक सौन्दर्य का उदघाटन हो सके।
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