The coal crisis escalated, Production stalled in 18 power stations
नईदिल्लीलीक्स (14th October 2021)…कोयला संकट बढ़ा. 18 बिजलीघरों में उत्पादन ठप.
देश में कोयला की कमी से बिजली संकट को लेकर केंद्र सरकार का रवैया गुमराह करने वाला है। केंद्र के कई मंत्री दावा कर रहे हैं कि देश में कोयला की कोई कमी नहीं, जबकि सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि देश के कोयला से चलने वाले 18 पावर प्लांट का कोयला पूरी तरह से खत्म हो गया है।
बता दें कि देश के 135 पावर प्लांट कोयले से बिजली बनाते हैं। सरकारी आंकड़ों से ही पता चलता है कि 18 पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक निल हो चुका है। सिर्फ 20 पावर प्लांट ही ऐसे हैं, जिनके पास सात दिन से ज्यादा का कोयला बचा है। केंद्र सरकार ने खुद यह माना है कि पावर प्लांट के लिए 17 दिन के कोयले का स्टाक होना चाहिए। जबकि अब ज्यादातर प्लांट के पास चार से पांच दिन का ही कोयला बचा है।
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 12 अक्टूबर तक देश के 26 प्लांट ऐसे थे, जहां सिर्फ एक दिन का ही कोयला बचा था। कोयले का यह संकट उस दौर में पैदा हुआ है, जब कोल इंडिया लिमिटेड ने इस साल रिकार्ड 249.8 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है। इसके बावजूद यह संकट क्यों। इस पर सरकार कई तरह के बहाने बना रही है कि कोरोना काल की समाप्ति के बाद कोयले की खपत बढ़ गई है, व विदेश से आयतित कोयले के दाम बढ़ गए हैं आदि। लेकिन अर्थशास्त्र की समझ रखने वालों का मानना है कि दरअसल, सरकार बिजली उत्पादन करने वाली निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए कोयले का कृत्रिम संकट पैदा कर रही है।