Video News : Senior Citizen are suffering from isolation syndrome
Video News : Senior Citizen are suffering from isolation syndrome in Agra, youth have come forward to help them but they also have some demands in return, read about the unique exchange of experience and technology
आगरालीक्स…आगरा में बुजुर्ग आइसोलेशन सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं, युवा उनकी मदद को आगे आए हैं मगर बदले में उनकी भी मांग है, पढें अनुभव और तकनीक की अनौखी अदला—बदली
सोच ऊंची हो तो बड़ा महान और छोटा बड़ा बन जाता है। बहुत से लोगों का मन आज की युवा पीढ़ी से कुंठित रहता है, वे सोचते हैं कि नई पीढ़ी पथ भ्रष्ट हो गई है। मगर ऐसा नहीं है। ऐसे युवा सामने आ रहे हैं जो मिसाल बन रहे हैं। आगरा के दयालबाग में एनिमेंट एनरॉल्ड सोसायटी को ही ले लीजिए। यहां अकेलेपन के शिकार बुजुर्गों से नौजवान न सिर्फ दोस्ती कर रहे हैं बल्कि उनकी दैनिक जरूरतों में उनका सहारा बन रहे हैं। वहीं बुजुर्ग की भी कम नहीं हैं। इस मदद के बदले वे युवाओं से अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
दरअसल इस सोसायटी में बिहेवियर साइंटिस्ट और हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. नवीन गुप्ता रहते हैं। डॉ. गुप्ता से हमने बात की तो उन्होंने कहा वो वाकई विचारणीय है। आगरालीक्स से बातचीत में डॉ. गुप्ता कहते हैं कि निकट भविष्य में क्या होगा यह सोचकर ही मन भयभीत हो जाता हैं, इसलिये आज की युवा सोच से यही निवेदन हैं कि अपनों से जुड़ें और उनके अनुभव को अपने चित्त में उतारें ताकि हमारा भविष्य सुंदर हो सके। आज की चकाचौंध में अपने बुजुर्गों (दादा-दादी, नाना—नानी) को न भूलें क्योंकि आपकी जिंदगी तो उन्होंने ही चकाचौंध की हैं।
आरबीएस कॉलेज में अर्थशास्त्र कीं प्रो. अंजू जैन भी इस सोसायटी में रहती हैं। डॉ. गुप्ता के साथ ही वे भी सीनियर सिटीजंस और नई पीढ़ी के बीच एक पुल की तरह काम कर रही हैं। प्रो. अंजू बताती हैं कि बुजुर्गों के पास अनुभव और ज्ञान होता है जबकि युवाओं के पास टेक्नोलॉजी और जोश होता है। हमें बस युवाओं और बुजुर्गों के बीच एक तालमेल बिठाना है। एक ऐसा तालमेल जिसमें वे एक—दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हैं। मसलन यहां हम युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं कि वे सोसायटी में रहने वाले सीनियर सिटीजंस के साथ समय बिताएं। इसमें कोई नुकसान नहीं है बल्कि उनका फायदा भी हैं।
बता दें कि एमिनेंट एनरॉल्ड सोसायटी में हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट के 15 स्टूडेंट्स सप्ताह में एक बार यहां आते हैं। 30—40 सीनियर्स के साथ दो से तीन घंटा तक मौज मस्ती करते हैं। मनोरंजक खेल खेलते हैं। वे बुजुर्गों को मोबाइल, कंप्यूुटर, लेपटॉप, इंटरनेट का इस्तेमाल कर बहुत सारे काम करना सिखाते हैं और बदले में बुजुर्गों से उनके अनुभव लेते हैं। इस वीकली मीटिंग के अलावा वे फोन आदि के जरिए सीनियर सिटीजंस से प्रतिदिन जुड़े रहकर उनकी जरूरतों को पूरा करते रहते हैं। ऐसे में देखा जाए तो यह दो अलग—अलग समय में पैदा हुए लोगों के बीच वस्तु विनिमय कराने की तरह है। आगरा की और सोसायटी भी अगर चाहें तो वे प्रायोगिक तौर पर ऐसा कर सकती हैं। शुरूआत में सोल्सर्ज आॅफ सोसायटी यानि टीम एसओएस उनकी मदद करेगी और बाद में वे खुद ऐसा कर सकते हैं। आगरा में एसीपी सुकन्या शर्मा ने भी एस पूरे प्रोजेक्ट को अपना समर्थन दिया है और आश्वासन दिया है कि आगरा पुलिस भी इसमें पूरा सहयोग प्रदान करेगी।
बीट द आइसोलेशन कैंपेन के मुख्य को आॅर्डिनेटर कौशलेंद्र शर्मा, ईशा गुप्ता, निशि, संजना शर्मा, दीप्ति आदि का कहना है कि उन्हें और दूसरे युवाओं को बुज़ुर्गों के बीच तालमेल से नई उपलब्धि मिल सकती है। बुज़ुर्गों के अनुभवों से सीखकर जीवन के दुखों को दूर किया जा सकता है। उनका ज्ञान युवा पीढ़ी के लिए गर्व का विषय होना चाहिए। बुज़ुर्गों को आत्मनिर्भर रहने में मदद करनी चाहिए। सम्मान देना, उनकी सेवा करना और उनके साथ समय बिताना चाहिए। बुज़ुर्गों को चिंता और बेचैनी से मुक्त जीवन जीने के लिए विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है। उनके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार कर उन्हें मानसिक संतोष देना चाहिए। आगरा में बुजुर्ग अकेले रह रहे हैं लेकिन हालात ऐसे भी हैं कि बहुत सारे घरों में वे परिवार के साथ होते हुए भी अकेलेपन के शिकार हैं क्योंकि कोई उनसे बात नहीं करता। हम लोगों से निवेदन करेंगे कि वे घर में बुजुर्गों से बात करेंगे क्योंकि उन्हें सुख—सुविधाएं नहीं बल्कि कोई ऐसा चाहिए होता है जो बस कुछ देर उनसे बात कर सके।