1. 1991 में वाराणसी कोर्ट में काशी विश्वनाथ ज्ञानवासी केस में पहला मुकदमा दाखिल किया गया था. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई थी.
2. मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी. 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था.
3. 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी मामले में स्टे आर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी. इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में इस मामले में सुनवाई शुरू हुई.
4. 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी. 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी थी.
5. 6 मई 2021 को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था लेकिन 7 मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया. मामला कोर्ट पहुंचा. 12 मई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई लेकिन यह खारिज कर दी.
6. 14 मई 2021 से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ. सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई. इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई. हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं. वहीं मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला.
7. 24 जनवरी 2024 को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने फैसला सुनाया. 25 जनवरी को रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है.
8. 31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखने में पूजा करने की इजाजत दे दी है.