नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए ) सीएए 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में प्रस्तावित किया गया इसे दिन सदन से पारित हो गया। 11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया था। 

कोरोना के चलते सीएए लागू नहीं हो सका। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 11 मार्च को सीएए देश में लागू कर दिया गया। तीन देशों के शरणार्थी नागरिकता के लिए आनलाइन आवेदन कर सकेंगे।  

सीएए से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। ऐसे  हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यक भारतीय नागरिक बन सकेंगे। इसमें मुस्लिम शामिल नहीं किए गए हैं।

कानून में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्डधारकों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। 

भारतीय नागरिकता किसे मिल सकती है, यह नागरिकता अभिनियम 1955 में बताया गया है। कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता-पिता भारतीय हों या कुछ समय से देश में रह रहे हों। 

सीएए नागरिकता देने का कानून है, इससे किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी। चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा और जिनके पास दुनिया में भारत के अलावा और कोई जगह नहीं है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएए लागू होने पर सियासी तूफान मच गया है। कांग्रेस ने सीएए को लागू करेन के समय पर सवाल उठाया है तो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने सीएए लागू करने से इन्कार कर दिया है। 

सीएए लागू होने के साथ ही देश में सतर्कता भी बढ़ा दी गई है, इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के परिणामों पर भी सीएए का असर पड़ेगा। इसका किसे फायदा होगा यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।