40 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष में जा रहे हैं, ये कुछ दिन अंतरिक्ष में रहेंगे, इसके बाद हिंद महासागर में समुद्र के भीतर इन्हें उतारा जाएगा। इस मिशन के लिए चुने गए चार एस्ट्रोनॉट के बारे में जाने

गगनयान भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है, इस बार अंतरिक्ष में भारतीय को ले जाने के लिए रॉकेट और काउंट डाउन भी भारत का होगा। इसमें अंतरिक्ष यात्रियों यानी एस्ट्रोनॉट को कुछ समय के लिए निम्न कक्षा में अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा।

गगनयान मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट के नाम का ऐलान किया गया है। इसमें ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप औरविंग कमांडर शुभांभ शुक्ला शामिल हैं। 

एस्ट्रोनॉट 47 साल के ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर केरल के रहने वाले हैं। एनडीए से वे साल 1999 में वायु सेना में कमीशन अधिकारी बने। वे  सुखोई युद्धक विमान भी उड़ा चुके हैं।

एस्ट्रोनॉट 39 साल के  विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। वे 2006 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे। उन्होंने रूस में ट्रेनिंग ली है। 

एस्ट्रोनॉट 42 साल के ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन का जन्म चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं।  

एस्ट्रोनॉट 42 साल के ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था।  18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे। उनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। 

गगनयान मिशन को 2025 में लांच किया जाएगा, इस मिशन के तहत दो से तीन दिन तक अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निम्न कक्षा में भेजा जाएगा, अंतरिक्ष में ये दो से तीन दिन बिताएंगे। 

पीएम मोदी ने चारों एस्ट्रोनोट्स के नाम की घोषणा की। गगनयान मिशन के सफल होने पर भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में अपने यान से अंतरिक्ष यात्री भेजने वाला देश बन जाएगा।