1— घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की सफलता दर अधिक नहीं है। यह एकदम गलत धारणा है। घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी की सफलता दर 95 प्रतिशत से अधिक है।

2— एक बार घुटना बदलने के बाद 5—10 साल से अधिक नहीं चलता। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। प्रत्यारोपित हुआ घुटना भी 20 से 25 साल तक सामान्य रहता है।

3— सर्जरी के बाद ठीक होने में कई महीने लगते हैं। घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद अगले ही दिन मरीज सामान्य रूप से चलने जबकि तीन दिन बाद सीढ़ियां तक चढ़ने लगता है।

4— जमीन पर या घुटने के बल बैठना संभव नहीं हो पाता। ऐसा नहीं है। व्यक्ति् सामान्य रूप से ऐसा कर सकता है बस इसमें हल्की सावधानी रखने की जरूरत है। जैसे लंबी अवधि तक ऐसे न बैठे रहें।

5— लगातार फिजियोथैरेपी करानी पड़ती है। ऐसा जटिल मामलों में ही किया जाता है। सामान्य तौर पर व्यक्ति सर्जरी के बाद हल्के फुल्के व्यायाम ही करता है जो एक्सपर्ट द्वारा सिखा दिए जाते हैं।

6— सर्जरी के बाद लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है। इसमें बिलकुल भी सच्चाई नहीं है बल्कि सर्जरी के बाद 4—5 दिनों के भीतर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।

7— डायबिटीज, हाई बीपी या हार्ट के मरीजों की सर्जरी नहीं की जा सकती। ऐसा नहीं है, डायबिटीज, हाई बीपी, या ह्दय के जोखिम वाले व्यक्तियों को रिस्क कम करके चिकित्सकीय निगरानी में सर्जरी की जा सकती है।

8— वाहन चलाना संभव नहीं है। सर्जरी के बाद मरीज को किसी भी प्रकार का वाहन चलाने में कोई दिक्कत नहीं आती।

9— 60 साल की आयु के बाद सर्जरी संभव नहीं है। यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है, क्योंकि भारत में अधिकांश मामलों में 60 साल की आयु के बाद ही घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत होती है।